फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी ने प्रेम विवाह किया था। लेकिन इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरू इस शादी के एकदम खिलाफ थे। लेकिन इंदिरा के जिद के सामने आखिर जवाहर लाल नेहरू को घुटने टेकने ही पड़े। लेकिन शादी के बाद भी इन दोनों की विचारधारा कभी नहीं मिली। नेहरू केवल फिरोज़ गांधी को पसंद इसलिए ही नहीं करते थे क्योकिं उन्होंने उनके खिलाफ शादी की बल्कि वे उनकी नीतियों का विरोध भी करते थे।

फिरोज ने 1933 में फिरोज गांधी ने पहली बार इंदिरा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इंदिरा के साथ उनकी मां ने भी इस रिश्ते के लिए मना कर दिया था। लेकिन बाद में ये एक दूसरे को पसंद करने लगे और इन्होने शादी करने का फैसला किया।

फिरोज इंदिरा गांधी की मां के भी काफी करीब थे और उनकी बीमारी में वे हमेशा उनके साथ रहे। मार्च 1942 में इंदिरा और फिरोज ने शादी की। लेकिन 1 साल बाद ही इन दोनों के बीच काफी अनबन होने लगी और इन दोनों के बीच का रिश्ता काफी मनमुटाव भरा चल रहा था।

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1952 में जब भारत में पहली बार आम चुनाव हुए तो फीरोज गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद चुने गए तब इंदिरा गांधी इनके प्रचार प्रसार का काम करती थी।

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कुछ समय बाद फिरोज गांधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी लेकिन नेहरू को ये बात जरा भी नहीं जचि और वे फिरोज गांधी के खिलाफ हो गए। 1955 में उनके चलते ही बिज़नेसमैन राम किशन डालमिया के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और उन्हें जेल जाना पड़ा लेकिन फिरोज ने 245 जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके एक नई कंपनी बना दी गई जिसे आज सभी एलआईसी के नाम से जानते हैं। उन्हें राष्ट्रीयकरण का जनक भी कहा जाता है।


फिरोज काफी लोकप्रिय थे लेकिन आखिरी दिनों में अकेले पड़ गए थे। सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

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