भारतीय सैनिक क्यों पहनते है अजीब सा दिखने वाला पटका-हेलमेट?
इंटरनेट डेस्क। ये बात तो आप सभी जानते होंगे कि देश की रक्षा करने के दौरान सैनिकों की जान हमेशा खतरे में होती है। उन्हें हमेशा हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए सावधान रहना पड़ता है और इसके लिए उन्हें कई अस्त्र-शस्त्र और सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता होती है जिनमें बंदूक, बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट इत्यादि शामिल है। आपने भारतीय सैनिकों को अक्सर अजीब सा दिखने वाला हेलमेट पहने हुए देखा होगा। आइये जानते है वास्तव में यह क्या होता है और क्या काम करता है?
इसे 'पटका-हेलमेट' के नाम से जाना जाता है जो कि कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के सैनिकों के लिए स्वदेशी निर्मित युद्ध हेलमेट है। यह विशेष रूप से सेना के उन सिख सैनिकों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो पगड़ी पहनते थे क्योंकि उनके लिए भारतीय सेना मानक मॉडल 1974 हेलमेट पहनना मुश्किल था। वर्तमान में, कश्मीर में तैनात लगभग सभी सैनिक इसका उपयोग करते हैं क्योंकि भारतीय सेना के मानक हेलमेट की तुलना में पटका हेलमेट के फायदे ज्यादा है।
पटका हेलमेट का पहला और सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मानक मॉडल 1974 हेलमेट की तुलना में हल्का और अधिक आरामदायक है। लंबे समय तक इसका उपयोग करने के बाद भी थकान या सिरदर्द नहीं होता है। इसके साथ गर्दन, गाल और कानों को कवर और संरक्षित करने के लिए एक फ्लैप का उपयोग किया जा सकता है। पटका हेलमेट का उपयोग बेहद ठंडी परिस्थितियों में भी किया जा सकता है, जहां वे सैनिकों को आवश्यक गर्मी भी प्रदान करते है। सिख सैनिक इसको अपनी पगड़ी के साथ भी पहन सकते है।
पटका हेलमेट को बहुत भरोसेमंद माना जाता है। इसका अगला भाग एके-47 राउंड के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है जो घाटी में आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाला एक आम हथियार है। वहीं पिछला हिस्सा 9 मिमी कैलिबर तक सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे कई मामले सामने आये हैं जहां सिर्फ पटका हेलमेट ने आतंकवादियों की गोलियों से हमारे सैनिकों के जीवन को बचाया है। साथ ही यह आधुनिक संचार उपकरणों, दूरबीन, रेंजफाइंडर्स और नाईट विज़न उपकरणों के साथ भी अनुकूल है।
वर्तमान में, पटका हेलमेट का उपयोग राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ के जवानों और कश्मीर क्षेत्र में तैनात भारतीय सेना के पैरा स्पेशल फोर्स द्वारा किया जा रहा है।