यह बात सभी जानते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग के केस में रॉबर्ट वाड्रा पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब होता है कालेधन को सफेद बनाना। रॉबर्ट वाड्रा 6 फवरवरी, 2019 की शाम 4 बजे ईडी के सामने पेश होने के लिए नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिस पहुंचे थे। हांलाकि शुरू में वाड्रा इस जांच में शामिल होने से बच रहे थे, लेकिन दिल्ली की पटियाला हाउस स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 6 फरवरी को ईडी के सामने पेश होने और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था। 6 फरवरी के बाद आज यानि 7 फरवरी को भी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में पूछताछ के दूसरे राउंड के लिए रॉबर्ट वाड्रा ईडी दफ्तर पहुंच चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि रॉबर्ट वाड्रा से किस मामले में ईडी इतनी गहन पूछताछ कर रही है?

दरअसल ईडी रॉबर्ट वाड्रा से यह पूछताछ लंदन में खरीदे गए एक बंगले को लेकर कर रही है। यह बंगला लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर में मौजूद है। आरोप है कि यह संपत्ति हवाला के जरिए करीब 8 करोड़ रुपए में खरीदी गई और यह पैसा हथियार कारोबारी संजय भंडारी ने दिया।

इस संपत्ति को पहले संजय भंडारी ने खरीदा था, इसके बाद साल 2010 में इसे इतनी ही रकम में रॉबर्ट वा़ड्रा की कंपनी के नाम कर दिया। इस बंगले की सजावट और मरम्मत पर संजय भंडारी ने 61 लाख रुपए खर्च किए थे। प्रॉपर्टी खरीद के दाम पर ही यह बंगला रॉबर्ट वा़ड्रा को ट्रांसफर कर दी गई। बता दें कि संजय भंडारी ईडी और इनकम टैक्स विभाग के जांच के घेरे में बहुत पहले से ही है। इसी क्रम में मनोज अरोड़ा का नाम भी सामने आया है। इसी आधार पर मनी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है।

रॉबर्ट वाड्रा और हथियार कारोबारी संजय भंडारी के बीच क्या है रिश्ता?

इस पूरे प्रकरण में ईडी संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच नई कड़ियां तलाश रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, लंदन में 4 संपत्तियां खरीदी गई है। खरीददारी के लिए यह पैसा ब्रिटेन की एक कंपनी सिंटेक ने मुहैया कराया है। सिंटेक को यह रकम साल 2005 में हुए एक रक्षा सौदे तथा साल 2009 में एक पेट्रोलियम सौदे से मिली दलाली से प्राप्त हुई थी।

दलाली की इसी रकम से ये संपत्तियां खरीदी गईं। ये प्रॉपर्टी पहले सिंटेक के नाम थी, इसके बाद इसे संजय भंडारी की कंपनी वोरटेक्स के नाम कर दिया गया। इसके लिए संजय भंडारी ने 18 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। साल 2010 में इस बंगले को दुबई के प्रवासी भारतीय कारोबारी सीसी थंपी के नाम कर दिया गया। थंपी ने ये खरीद एक कंपनी स्काईलाइट एफजेडई के जरिए की थी। कंपनी स्काईलाइट एफजेडई का खाता शारजाह में है। आरोप है कि स्काईलाइट एफजेडई रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी है।

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