जब ब्रिटिश इंडियन आर्मी से हटाया गया ब्रिटिश शब्द, जानें कितनी बदल गई हमारी सेना
15 अगस्त 1947 को भारत देश को अंग्रेजों से आजादी मिली। आजादी मिलने के बाद 15 जनवरी 1949 को पहली बारके. एम. करियप्पा को देश का पहला लेफ्टीनेंट जर्नल बनाया गया। उनसे पहले इस पद पर ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर थे। जब पहली बारके. एम. करियप्पा को देश का पहला लेफ्टीनेंट जर्नल बनाया गया तो ब्रिटिश इंडियन आर्मी से ब्रिटिश शब्द हमेशा के लिए हटा दिया गया। इसके बाद से इसे इंडियन आर्मी कहा जाने लगा।
इंडियन आर्मी बनने के बाद से ही देश में हर वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। इसी साल 2018 में जनवरी में देश ने 70वां सेना दिवस मनाया। आजादी के बाद से ही भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा हैं। भारतीय सेना ने जरुरत के समय हर वक्त देशवासियों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया हैं। शौर्य और पराक्रम का दूसरा नाम बन चुकी भारतीय सेना ने समय समय पर संकट में फंसे लोगों को बचाया भी है।
आज यदि भारतीय सेना की शौर्यगाथाएं बोलने का मौका मिले तो शब्द भी कम पड़ जाते हैं। समय समय पर इंडियन आर्मी ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया है। बात करें बाढ़ पीड़ितों को बचाने की या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से लोगों को बचाने की या सीमा पर दुश्मनो से देश की रक्षा करने की, इंडियन आर्मी ने हमेशा ही अपने साहस का परिचय दिया है। अपने पराक्रम के 71 साल पूरे कर चुकी भारतीय सेना आजादी के बाद से ही देश की रक्षा में हर पल लगी रही। अपनी प्रत्येक जिम्मेदारियों का निर्वाह कर जान की बाजी लगाने वाली भारतीय सेना पर हमें गर्व हैं।