जब रो पड़े राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, ये थी वजह
दोस्तों आज हम आपको भारतीय राजनीति के सबसे काले दिन के बारे में बताने जा रहे है। 6 दिसंबर 1992 का दिन कोई नहीं भूल सकता। इस दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद के एक गुंबद पर चढ़कर हजारो भीड़ ने गिरा दिया। दिल्ली स्थित तमाम मुस्लिम नेता प्रधानमंत्री दफ्तर में फोन करने लगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और हर बार एक ही जवाब मिला प्रधानमंत्री आराम कर रहे हैं।
उस समय शंकर दयाल शर्मा देश के राष्ट्रपति थे। शंकर दयाल शर्मा समाजसेवी और धर्मगुरु के रूप में ज्यादा जाने जाते थे। 6 दिसंबर 1992 को दोपहर 2.30 बजे कई राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे और शर्मा रो रहे थे। उन्होंने आए हुए लोगों को एक खत दिखाया। ये खत शर्मा ने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को लिखा था। इसमें कहा गया था कि अयोध्या में स्थिति विस्फोटक है, राज्य की बीजेपी सरकार की स्थिति साफ नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार बर्खास्त कर केंद्र को सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले लेनी चाहिए। फिर शर्मा बोले, मगर मैं भी प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंच पाया।
आपको जानकारी में बता दें, कि शंकरदयाल शर्मा के इनकार के बाद ही नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली थी। दरअसल तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में राजीव गांधी की लिट्टे के आत्मघाती हमलावर दस्ते के हाथों हत्या के बाद पार्टी में हर कोई उनकी विधवा सोनिया गांधी से नेतृत्व की उम्मीद कर रहा था। सभी ने उनसे कांग्रेस अध्यक्ष बनने को कहा। उस वक्त यह साफ था कि जो पार्टी संभालेगा, वही सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री बनेगा। शर्मा ने अपने खराब स्वास्थ का हवाला देते हुए इनकार कर दिया।