जब नरेंद्र मोदी मगरमच्छों से भरी झील के बीच तैरकर बदल आए थे मंदिर का झंडा
साल 2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। उसके बाद 2019 में दोबारा बहुमत के साथ पीएम मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें। ऐसा बहुत ही कम होता है जब कोई पीएम फिर से देश का प्रधानमंत्री बनें। देश की इन बड़ी बड़ी शख्सियत पर किताबें भी लिखी जाती है। इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी किताब के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे एंडी मरीनो ने लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान लिखी थी। इस कितन का नाम नरेंद्र मोदी : एक राजनीतिक यात्रा है।
इस किताब को लिखने के लिखने के लिए एंडी मरीनो ने नरेंद्र मोदी के साथ काफी समय गुजारा और उनकी कई राजनीतिक यात्राओं और रैलियों में भी गए। कई सप्ताह तक मरीनो ने बड़ी गंभीरता के साथ नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को देखा। ऐसा पहला मौका था जब नरेंद्र मोदी ने किसी पत्रकार या लेखक को अपने करीब आने का मौका दिया था। इस प्रकार इस किताब में उनके बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक की कहानी है। इस किताब में कई किस्से हैं जिनके बारे में आप भी नहीं जानते होंगे। आज हम आपको एक ऐसे ही किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं।
यह बात उन दिनों की है, जब नरेंद्र मोदी वडनगर में रहते थे। वडनगर में मौजूद मशहूर शर्मिष्ठा झील कोई साधारण झील नहीं। इस झील में मगरमच्छ रहते थे। फिर भी नरेंद्र मोदी इस खतरनाक झील में तैरना पसंद करते थे।
बता दें कि इस झील के बीचोबीच मौजूद चट्टान पर एक प्राचीन मंदिर था। धार्मिक अवसरों पर इस मंदिर का झंडा बदला जाता था। एक बार जब इस मंदिर का झंडा बदलना था, उसी दिन जोरदार बारिश हो गई, जिससे मगरमच्छ मतवाले हो उठे। कोई भी जाने को तैयार नहीं हो रहा था। इसी बीच एक लड़का और बोला- मैं जाऊंगा मंदिर का झंडा बदलने, जी हां, नाम था नरेंद्र। फिर क्या था वह अपने दो दोस्तों बच्चू और महेंद्र के साथ मंदिर तक गए और मंदिर का झंडा बदलकर लौट आए। तब तक लोग झील के किनारे पूरे समय तक नगाड़े बजाते रहे, ताकि मगरमच्छ डरकर उपर ना आए। लोगों के नगाड़े बजाने का क्रम नरेंद्र के लौटने तक जारी रहा।