इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी और अपने आप में उनकी अलग ही शख्सियत है। उनके राजनीति के समय के कई किस्से मशहूर हैं। आज हम एक ऐसे ही किस्से के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। आठवें दशक में वे देश की प्रधानमंत्री थी और उन्हें टक्कर देने वाला कोई नहीं था। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भांति उनकी चुनावी सभाओं में अपार भीड़ जुटती थी। उनके भाषण को सुनने के लिए लोग दूर दराज से आते थे। ऐसा ही एक भाषण इंदिरा ने 1947 में दिया था जब वे दरी में गुर्जर नेता रामचंद्र विकल की चुनावी सभा को सम्बोधित करने पहुंची थी।

दादरी के किसान नेता बिहारी सिंह बागी इंदिरा गांधी के काफी खास थे और वे किसान की रैलियों आदि में सबसे आगे रहते थे। बिहारी सिंह बागी दादरी विधान सभा से कांग्रेस की तरफ से इलेक्शन लड़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने इंदिरा गांधी से टिकट मांगा लेकिन इंदिरा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और रामचंद विकल का नाम दिया।

इंदिरा गांधी ने सांसद रहते हुए रामचंद्र विकल को उत्तर प्रदेश में कृषि मंत्री बनवाया था। दादरी विधान सभा से चुनावी मैदान में उतारा और वे उन्ही की चुनावी सभा को संबोधित करने वहां गई थी।

वहीं दूसरी तरफ टिकट न मिलने से नाराज बिहारी सिंह बागी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्हें शेर का चुनाव चिन्ह मिला। उन्होंने रामचंद्र की चुनाव सभा को संबोधित करने के लिए इंदिरा को मना किया लेकिन वे फिर भी दादरी पहुंची। उधर, बिहारी सिंह बागी गाजियाबाद में चल रहे एक सर्कस से 500 रुपये में एक दिन के लिए शेर किराए पर ले लिया।

इंदिरा गांधी ने दादरी में आकर जैसे ही सभा को संबोधित करना शुरू किया, तभी बिहारी सिंह बागी ने सभा में पिंजरे का शेर छोड़ दिया। शेर को देख कर पूरी भीड़ वहां से भाग गई और चुनाव सभा को छोड़ कर इंदिरा को 5 मिनट में वहां से जाना पड़ा।

बिहारी सिंह बागी भले ही चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र बिकल भी हार गए। देवटा गांव के तेज सिंह भाटी चुनाव जीतकर विधायक बने। वे एनसीओ के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

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