आधुनिक भारतीय इतिहास के मुताबिक, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को नए भारत का निर्माता कहा जाता है। हांलाकि जवाहरलाल नेहरू का जीवन एक खुली किताब की तरह है, लेकिन ब्रिटीश भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन और पंडित नेहरू के रिश्तों को लेकर चर्चाओं का दौर हमेशा जारी रहता है।
बता दें कि 1947 में जब भारत आजादी के कगार पर था, तब लार्ड माउंटबेटन ब्रिटीश भारत के गर्वनर जनरल हुआ करते थे। उन दिनों लार्ड माउंटबेटन और एडविना माउंटबेटन की पुत्री पामेला माउंटबेटन की उम्र 18 साल थी। मतलब है कि पामेला माउंटबेटन अपनी मां एडविना माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू के बीच के रिश्ते की एक बड़ी पर्यवेक्षक थी।

उस वक्त जवानी की दहलीज पर खड़ी पामेल ने जो अनुभव किया, उस बात को उन्होंने कई वर्षों बाद उजागर किया। इसके विपरीत जवाहरलाल नेहरू और लार्ड माउंटबेटन के बीच यौन संबंध था या कुछ और... इस बात को लेकर विवादास्पद टिप्पणीयां देखने-सुनने को मिल ही जाती हैं। लेकिन अगर एडविना माउंटबेटन की बेटी की मानें तो उन्हें नेहरू जी में वह साथी, वैचारिक समानता और बुद्धिमता मिली, जिससे वह हमेशा चाहती थीं।

पामेला माउंटबेटन ने यह स्वीकार किया कि 1947 के बाद भी जवाहरलाल नेहरू उनकी मां एडविना को पत्र लिखते रहे। अपनी मां एडविना को लिखे नेहरू के पत्र पढ़ने के बाद पामेला को यह अहसास हुआ कि पंडित नेहरू और एडविना किस कदर एक दूसरे से प्रेम करते थे और एक दूसरे का सम्मान करते थे।

लार्ड माउंटबेटन के एडीसी फ्रेडी बर्नबाई ​एत्किन्स ने पामेला माउंटबेटन को बताया था कि जवाहरलाल नेहरू और उनकी मां का जीवन इतना सार्वजनिक था कि दोनों के लिए यौन संबंध रखना संभव नहीं था।
Daughter of Empire: Life as a Mountbatten पुस्तक में पामेला लिखती है कि मेरी मां और पंडित जी में यौन संबंधों के लिए समय नहीं था, क्योंकि उनके आसपास हमेशा कर्मचारी, पुलिस और अन्य लोग मौजूद रहते थे।

जाहिर है पंडित नेहरू उन दिनों विधुर थे, इतना ही नहीं समकालीन भारतीयों की तुलना में कुछ हद तक उदार थे। हां, उन्होंने एडविना माउंटबेटन के साथ ऐसे रिश्ते कायम किए, जो शारीरिक बिल्कुल भी नहीं था।

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