दोस्तों, आपको बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच एक-दो नहीं बल्कि कई मुलाकातें हो चुकी है। ऐसे में मुख्य रूप से सवाल यह उठता है कि पीएम मोदी की उन मुलाकातों से भारत को आखिर कितनी कामयाबी मिली। पीएम नरेंद्र मोदी के मुताबिक, जापान आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत का सबसे भरोसेमंद साझीदार है।

मलाया यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ लेक्चरर राहुल मिश्रा के अनुसार, डोकलाम विवाद के बाद से भारत पिछले दो साल से चीन को समझने की कोशिश कर रहा है। अब भारत-जापान मिलकर चीन के साथ बातचीत शुरू करेंगे तथा प्रशांत क्षेत्र में सामरिक सहयोग पर बातचीत करेंगे।

राहुल मिश्रा कहते हैं कि चीन को एक चुनौती के तौर पर देखते हुए भारत और जापान एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। मान्यता है कि एशिया में तीन सबसे बड़ी ताक़ते हैं- चीन, जापान और भारत। विश्व व्यवस्था में अपने बड़े किरदार के लिए भारत और जापान को एक दूसरे के करीब आना ही होगा।

राहुल मिश्रा यह कहना नहीं भूलते हैं कि पीएम मोदी के मेक इन इंडिया प्लान को लेकर जापान एक बहुत उत्सुक सहयोगी रहा है। अगर केवल बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ही कार्यान्वित हो जाए तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी, जिसका श्रेय पीएम मोदी सरकार को मिलेगा।

पिछले 70 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब जापान भारत को ताकतवर बनाने के लिए निवेश करने को तैयार है। भारतीय सेना और जापानी सेना के बीच हुए संयुक्त युद्धाभ्यास से अत्याधुनिक सैन्य तकनीक मामले में सेना मजबूत होगी।

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