गांधी परिवार में औरतें शुरूआत से ही सियासत में अपना लोहा मनवाती रही हैं। इंदिरा गांधी हों या फिर सोनिया गांधी, इन्होंने जमकर राजनीतिक यात्रा की। कांग्रेस जैसे ही किसी तकलीफ में फंसती है तो अभी भी लोग कहते हैं प्रियंका को बुलाओ।

गांधी परिवार में इन्हीं महिलाओं में से एक नाम है विजयलक्ष्मी पंडित। जी हां, विजयलक्ष्मी पंडित पहली भारतीय महिला थीं, जिन्हें 1937 में ही ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

इलाहाबाद से पढ़ाई शुरू करने वाली विजया लक्ष्मी पंडित अपने भाई पंडित जवाहर लाल नेहरू से 11 साल छोटी थीं। आजादी की लड़ाई में पहले पिता मोतीलाल नेहरू के साथ सक्रिय रहीं, इसके बाद अपने भाई जवाहर लाल नेहरू के साथ।

देश को आजादी मिलने के बाद विजय लक्ष्मी पंडित 1947 से 1949 तक रूस में राजदूत रहीं। इस दौरान भारत के लिए एक बड़ी सनसनीखेज खबर आई थी। जी हां, दोस्तों उन​ दिनों सुभाषचंद्र बोस के रूस में होने की अफवाह उड़ी थी।

यह बात कई सालों तक आसमान में गूंजती रही कि सुभाष चन्द्र बोस मरे नहीं हैं, बल्कि उन्हें रूस में रखा गया है। मॉस्को में रामकृष्ण मिशन के चीफ रहे स्वामी ज्योतिरूपानंद ने एक बार बयान दिया था कि एक बार रूसी अधिकारी विजय लक्ष्मी पंडित सुभाष चंद्र बोस के पास ले गए थे।

उन्होंने एक छेद से सुभाष चंद्र बोस को दिखाया था। विजय लक्ष्मी पंडित जब स्वदेश लौटीं तब उन्होंने कहा कि मेरे पास एक ऐसी खबर है, जिससे हिंदुस्तान में तहलका मच जाएगा। शायद आजादी से भी बड़ी खबर। कहा जाता है कि पंडित नेहरू ने विजय लक्ष्मी पंडित को कुछ भी कहने से मना कर दिया था।

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