अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, राजनेता और एक कवि थे, जिन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में तीन कार्यकाल दिए। वह पांच दशकों से अधिक समय तक भारतीय संसद के सदस्य रहे, वे 10 बार निचले सदन में लोकसभा के लिए चुने गए, और दो बार उच्च सदन यानि राज्यसभा मे चुने गए। उन्होंने पहला चुनाव 1954 में, दूसरा चुनाव 1957 में और फिर 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार चुनाव लड़े।

लेकिन आज हम उनके जीवन से जुड़े एक ऐसे किस्से का जिक्र करने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा। तो आइए जानते हैं अटल जी के जीवन से जुड़े अनसुने पहलु।

अटल बिहारी जी ने कानपुर में लॉ की पढ़ाई छोड़ दी थी और लखनऊ आ गए थे। यहाँ आ कर उन्होंने पत्रकारिता में अपना लक आजमाया और एक पत्रकार बन गए। 15 अगस्त 1947 को लखनऊ से राष्ट्रधर्म नाम की मासिक पत्रिका शुरू हुई थी। इसमें अटल जी सम्पादक के रूप में काम करते थे। 31 अगस्त 1947 को राष्ट्रधर्म पत्रिका का पहला अंक प्रकाशित हुआ। इसकी 300 कॉपीज उस टाइम बिकी।

इसी समय का एक किस्सा हम आपको सुनाने जा रहे हैं तब अटलजी ने तत्कालीन कार्यालय प्रमुख जगदंबा प्रसाद से पांच रुपये मांगे। उन्होंने अपनी टूटी हुई चप्पल उन्हें दिखादी और इसके तुरंत बाद ही उन्हें 5 रुपए मिल गए। लेकिन चप्पल खरीदने के बजाय वे उन पैसों से पेट पूजा करने लगे। वहां उन्होंने उन्हीं पैसों से भुट्टा और लस्सी पी। जब उनसे पूछा गया कि अब चप्पल का क्या होगा ? तो उन्होंने जवाब दिया कि जब इतने समय से काम चल रहा था तो अब 2-3 महीने और काम चला लेंगे।

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