बप्पा रावल को इतिहास में कौन नहीं जानता था। उन्हें आज भी सभी जानते हैं और उनका जन्म 712 ईस्वी में ईडर में हुआ। बप्पा कालभोज के नाम से भी जाने जाते थे। गुहिलादित्य राजवंश को सिसौदिया भी कहा जाता है। वे राजपूत वंश के दमदार शासक थे। वे 713-810 ई. में गुहिल राजपूत राजवंश के सस्थापक थे ।

उन्हें सब प्यार से बप्पा कहते थे। उन्होंने शासन करने के लिए मानमोरी को मारा था और फिर खुद गद्दी पर बैठ गए थे। बप्पा अरबों और मुगलों के लिए काल के समान थे और सभी उनसे डरते थे।

जब मुहम्मद कासिम और अरबों ने हमले शुरू कर दिए और चारों ओर से इनके साम्रज्य को घेर लिया तो बप्पा उनके लिए काल बन गए। बप्पा ने मुस्लिमों के साम्राज्यों पर आक्रमण करना और उन्हें जीतना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने शासन के दौरान सिक्के भी जारी करवाए थे।

उन सिक्कों के ऊपर माला नीचे श्री बोप्प लेख था। इस सिक्के के बाईं तरफ त्रिशूल और दाहिनी तरफ शिवलिंग और नंदी बनी है। बप्पा की कुल 100 रानियां थी जिनमे से 35 राजकुमारियां मुग़ल थी।

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