आपको बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा द्वारा लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों की घोषणा करते ही भारत में आदर्श आचार संहिता भी लागू कर दी गई। दरअसल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं। देश में आचार संहिता लागू होते ही शासन और प्रशासन में कई अहम बदलाव देखने को मिलते हैं।

आम जनता अखबारों अथवा न्यूज चैनलों पर यह देखती अथवा सुनती है कि आचार संहिता लग गई है, लेकिन अधिकांश लोगों को नहीं पता कि आखिर आचार संहिता के मायने क्या हैं?

1- देश के सभी राज्यों अथवा केंद्रीय सरकार के कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं।

2- आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता है, जिसका फायदा किसी विशेष दल को पहुंचता हो।

3- सरकारी विमान, सरकारी बंगला अथवा सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

4- आचार संहित लागू होते ही किसी भी तरह का शिलान्यास, लोकार्पण, सरकारी घोषणाएं अथवा भूमिपूजन आदि के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं।

5- किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने अथवा चुनावी सभा करने से पहले पुलिस से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।

6- सत्तासीन कोई भी मंत्री सड़क निर्माण या पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन अथवा विवेकाधीन निधि से अनुदान या स्वीकृति नहीं दे सकता है।

7- सभी राजनीतिक कार्यक्रमों पर नज़र रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक की नियुक्ति करता है।

8- किसी भी राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी द्वारा जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट मांगना आचार संहित का उल्लघंन करना है। ऐसा करने पर चुनाव आयोग दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है।

9- आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग संबंधित पार्टी अथवा प्रत्याशी के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है। जैसे उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। ज़रूरी होने पर आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज कराने का प्रावधान है।

10- आचार संहिता के उल्लंघन में जेल भी भेजा जा सकता है।

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