इंटरनेट डेस्क| 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर में जन्मे मार्शल अर्जन सिंह ने 19 साल की उम्र पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चयनित किए गए। 1962 में चीन युद्ध के ठीक एक साल बाद अर्जुन सिंह वायु सेना उप-प्रमुख बनें।

चीन युद्ध के ठीक तीन साल बाद 1965 में पाकिस्तान ने हमला कर दिया। 1965 युद्ध के नायक रहे अर्जुन सिंह ने पाकिस्तानी सेना को धूल में मिला दिया था। ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के तहत इस नायक ने पाकिस्तानी शहर अखनूर को अपने निशाने पर लिया था।

पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में अर्जुन सिंह ने जीत का जो कारनामा दिखाया, उसे देखते उन्हें वायुसेना चीफ बना दिया गया। इतना ही नहीं इस शख्स की रैंक बढ़ा दी गई। अब अर्जुन सिंह एयरफोर्स चीफ से एयर मार्शल बना दिए गए। भारत सरकार ने अर्जुन सिंह को पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किया गया।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि एयर मार्शल अर्जुन सिंह वायुसेना के एक मात्र अधिकारी हैं, जिन्हें पांच सितारा रैंक दिया गया। इसके अलावा अर्जुन सिंह वायुसेना से कभी सेवानिवृत्त नहीं हुए। इंडियन एयरफोर्स को सुपरसोनिक युग में ले जाने का श्रेय इस महान सैन्य अधिकारी को जाता है।

गौरतलब है कि एयर मार्शल अर्जुन सिंह केन्या के उच्चायुक्त रहे तथा स्विटज़रलैंड में भारतीय राजदूत के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान की। बतौर उप राज्यपाल, दिल्ली अर्जुन सिंह ने 1989-90 में कार्यरत रहे।

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