इंटरनेट डेस्क। भारत अपने मित्र देश रूस के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान तैयार कर रहा है। जी हां, इस लड़ाकू विमान का नाम टी-50 है। इस विमान को सुखोई पीएके-एफए नाम से भी जाना जाता है। इस विमान का नाम सुनते ही पश्चिमी देशों के पसीने आने लगते हैं। पांचवी पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान के लिए भारत और रूस की रक्षा तैयारियों से कई देशों की चिंता बढ़ गई है।

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के बाद अब रूस और भारत ने मिलकर पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान टी-50 की डिजाइन और परीक्षण संबंधी अनुबंध पूरी तरह से तैयार कर लिया है। तकनीकी हस्तातंरण की फाइनल डील होते ही रूस और भारत लड़ाकू विमान टी-50 पर काम करना शुरू कर देंगे। महज दो सीटों वाले इस लड़ाकू विमान के भारतीय सेना में शामिल होते ही देश की हवाई ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

गौरतलब है कि लड़ाकू विमान टी-50 को रडार अथवा ऑप्टीकल व इन्फ्रा रेड किरणों के माध्यम से भी बहुत मुश्किल से ढूंढ़ा जा सकता है। यानि इस हमलावर विमान को युद्ध दौरान पता लगा पाना दुश्मन के लिए बेहद कठिन काम होगा।

पांचवी पीढ़ी के ऐसे लड़ाकू विमान केवल अमेरिका के पास हैं, जबकि चीन इस काम में बहुत तेजी से लगा हुआ है। स्टैल्थ तकनीकयुक्त ऐसे दो लड़ाकू विमानों का उत्पादन चीन बहुत जल्द ही करने जा रहा है। ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि भारतीय सेना के पास ऐसे स्टैल्थ तकनीकयुक्त लड़ाकू विमानों का स्क्वाड्रन होना चाहिए।

दरअसल भारत के कुछ पड़ोसी इस चिंता में लगे हैं कि भारत और रूस के संयुक्त तत्वावधान में बने रहे इस लड़ाकू विमान टी-50 की काट करना इतना आसान नहीं होगा। बता दें कि रूस और भारत द्वारा मिलकर बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तोड़ आज भी पाकिस्तान और चीन के पास नहीं है।

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