साल 1971 के दौरान इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी और यही वो दौर था जब पाकिस्‍तान और भारत के बीच जंग चल रही थी।

इस बात से इंदिरा बहुत परेशान थीं और इसी मामले में वो तत्‍कालीन जनरल सैम मानेक शॉ के पास आईं। इंदिरा ने सैम बहादुर से पूछा कि क्‍या वो युद्ध के लिए तैयार हैं तो जनरल सैम मानेक शॉ ने बड़े ही आशिकाना अंदाज़ मे जवाब दिया – मैं हमेशा तैयार रहता हूं स्‍वीटी…

जनरल सैम मानेक शॉ भारत के पहले फील्‍ड मार्शल थे और इनका नाम सुनते ही 1971 का भारत-पाक युद्ध याद आ जाता है। उस समय मानेकशॉ भारतीय सेना के अध्‍यक्ष थे और उनकी ही अगुवाई में भारतीय सेना ने सिर्फ 13 दिनों में ही पाकिस्‍तान को जंग के मैदान में धूल चटा दी थी। इस युद्ध के बाद ही बांग्‍लादेश का जन्‍म हुआ था।

3 अप्रैल, 1914 को जन्‍मे जनरल सैम मानेक शॉ अमृतसर के एक पारसी परिवार से थे और उनके पिता का नाम होर्मूसजी मानेकशॉ और मां का नाम हीराबाई था। साल 1969 में सैम ने भारतीय सेना की कमान अध्‍यक्ष के रूप में संभाली थी। 1965 में जब भारत-पाक के बीच युद्ध चल रहा था तब सैम बहादुर ने ही इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के बीच कोऑर्डिनेशन कर पाक को चारों खाने चित्त कर दिया था। वह पहले ऐसे आर्मी मैन हैं जिन्‍हें फील्‍ड मार्शल की उपाधि से सम्‍मानित किया गया था।

जनरल सैम मानेक शॉ अकेले ऐसे सेनाधिकारी थे जिन्‍हें रिटायर होने से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पदोन्‍नति दी गई थी। मानेकशॉ के देशप्रेम और देश के प्रति निस्‍वार्थ भावना के चलते उन्‍हें 1972 में देश के दूसरे सबसे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान पद्मविभूषण से नवाज़ा गया था। उन्‍हें 1973 को जनवरी में फील्‍ड मार्शल का पद भी दिया गया था और इसी महीने वो रिटायर भी हो गए।

इंदिरा गांधी को कहते थे स्‍वीटी

वो इकलौते ऐसे शख्‍स थे जो इंदिरा को स्‍वीटी कहने की हिम्‍मत रखते थे। मेजर जनरल सिंह बताते हैं कि एक बार जब इंदिरा गांधी विदेश से लौटीं तो मानेकशॉ उन्‍हें रिसीव करने एयरपोर्ट पर पहुंचे। इंदिरा गांधी को देखते ही उन्‍होंने कहा कि आपका हेयरस्‍टाइल जबरदस्‍त लग रहा है। इस पर इंदिरा गांधी ने मुस्‍कुराकर कहा – और किसी ने तो इसे नोटिस नहीं किया।

1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी चाहती थीं कि वह मोर्चे में ही पाक पर चढ़ाई कर दें लेकिन सैम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया क्‍योंकि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी। इंदिरा इस बात पर नाराज़ हो गईं। तब मानेकशॉ ने उनसे पूछा कि आप युद्ध जीतना चाहती हैं या नहीं तो इंदिरा ने हां में जवाब दिया। इस पर मानेकशॉ ने कहा मुझे छह महीने का समय दीजिए, मैं आपको गारंटी देता हूं कि जीत आपकी ही होगी।

ये खबर आपको भी बहुत रोचक लगी होगी कि भला कोई सेना अध्‍यक्ष इंदिरा गांधी जैसी इतनी बड़ी हस्‍ती को स्‍वीटी कैसे कह सकता है। जनरल सैम मानेक शॉ की शख्सियत काफी मजबूत थी और शायद इसी वजह से इंदिरा भी उन्‍हें प्‍यार से हैंडल किया करती थीं।

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