इंटरनेट डेस्क। भारतीय सेना में आज इतना जज्बा और ताकत है कि एक जवान दस-दस दुश्मनो से अकेला भीड़ जाता है ऐसी ही एक मिसाल पेश की है सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता ने। चेतन चीता कश्मीर में बांदीपुरा में हुई मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए थे, एनकाउंटर में एक आतंकवादी ढेर हुआ था और सेना के तीन जवान शहीद हुए थे।

दो महीने कोमा में रहने के बाद चेतन स्‍वस्‍थ हुए। आपको चेतन राजस्थान के कोटा जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता रिटायर्ड आरएएस अफसर हैं, जो कोटा में ही रहते हैं। चेतन की पत्नी और दोनों बच्चें दिल्ली रहते हैं।

आपको बता दें, कश्मीर में हुई मुठभेड़ में चेतन को नौ गोलियां लगने के बाद भी आतंकियों से लड़ते रहे और व​ह करीब डेढ़ माह तक कोमा में रहे थे। यहीं नहीं दाईं आंख, पेट, दोनों बांहों, बाएं हाथ समेत शरीर के कई जगहों पर गंभीर फ्रैक्चर आये थे।

शुरुआत में उन्हें श्रीनगर के आर्मी अस्तपाल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें एयर एंबुलेंस के ज़रिये दिल्ली लाया गया था। ब्रिटिश अखबार "डेली मेल" ने भी उनके जीवित रहने पर आश्चर्य प्रकट करते हुए लेख प्रकाशित किया था।

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें बहादुरी के लिए कीर्ति चक्र से भी नवाजा गया था। चीता को फिलहाल सीआरपीएफ डायरेक्टरेट में तैनाती दी गई है और वह अपनी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।अधिकारियों के अनुसार चीता अभी पूरी तरह से फिट नहीं हैं और ऐसे में उन्हें फ्रंट पर पोस्टिंग नहीं दी जा सकती है।

Related News