धारावाहिक महाभारत के इन दो संवादों से डर गई थी राजीव सरकार !
इंटरनेट डेस्क। क्या आप जानते हैं कि सेंसर बोर्ड की कैची दूरदर्शन पर प्रसारित किए जाने वाले धारावाहिक महाभारत के पहले एपिसोड पर भी चल चुकी है। जी हां, यह बात उन दिनों की है, जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे।
उन दिनों दूरदर्शन पर धारावाहिक महाभारत के प्रसारण के लिए दृष्य शूट किए जा रहे थे। हांलाकि पहले एपिसोड का दृश्य फिल्माया जा चुका था। अब जल्द ही इसका प्रसारण टेलीविजन पर किया जाने वाला था, ठीक इससे पहले धारावाहिक महाभारत के इस पहले एपिसोड पर दो कट लगवाए गए। फिल्मी जानकारों के अनुसार, यह दो कट राजीव सरकार के इशारे पर लगवाए गए थे। इसके बाद महाभारत के इस पहले एपिसोड को कांट छाट करके दिखाया गया।
शूटिंग से जुडे लोगों के मुताबिक, जनता को पहले ही एपिसोड में कुछ अधूरे दृश्य दिखाए गए थे। दरअसल दृश्य में राजा भरत और उनकी पत्नी शकुंतला में वार्तालाप दिखाया जाना था। लेकिन पहले एपिसोड में ही राजा भारत के बाद सीधे शांतनु के सीन दिखाए।
सीन में यह दिखाया जाना था कि राजा भरत अपने बेटों को नहीं वरन किसी योग्य व्यक्ति को सिंहासन सौंपने की बात कर रहे हैं। इस सीन में राजा भरत का डॉयलॉग था कि सत्ता का अधिकार जन्म से नहीं कर्म से मिलता है। दूसरा डॉयलाग यह था कि राजा का कर्तव्य राज्य के हितों की रक्षा करना है कि ना कि बेटों के हितों की।
धारावाहिक महाभारत के पहले एपिसोड में मौजूद इन संवादों से राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार को यह भय था कि कहीं लोग वंशवाद और परिवारवाद को लेकर नाराज मत हो जाएं। राजीव सरकार को राजनीतिक अवधारणा बदलने का पूरा डर था। दूरदर्शन के पूर्व निदेशक भास्कर घोष अपनी किताब दूरदर्शन डेज में लिखते हैं कि कुछ दिनों में देश में आम चुनाव होने वाले थे, ऐसे में तत्कालीन सरकार दूरदर्शन पर पूरा नियंत्रण चाहती थी।