कहा जाता है कि अगर यह शख्स जीवित होता तो वह स्वदेशी और आयुर्वेद के क्षेत्र में बाबा रामदेव से भी बड़ा ब्रांड बन चुका होता। स्वदेशी और अखंड भारत परिकल्पना के जरिए भारत की पूरी व्यवस्था को बदल डालने का हिमायती था। यह व्यक्ति दावा करता था कि 20 साल में वो कभी बीमार नहीं पड़ा। अंगूठे पर मेथी का दाना बांधकर जुकाम ठीक कर लेता था। जी हां, इस शख्स का नाम था राजीव दीक्षित। इस शख्स की विवादास्पद मौत हुई थी। यूपी के अलीगढ़ में 30 नवंबर, 1967 को मिथिलेश कुमारी और राधेश्याम दीक्षित से एक बच्चा पैदा हुआ, नाम पड़ा राजीव। मिडिल क्लास फैमिली की तरह शिक्षा प्राप्त करने के बाद राजीव ने इलाहाबाद में बीटेक करने के दौरान आजादी बचाओ आंदोलन शुरू किया।

IIT से एमटेक करने के बाद राजीव ने कुछ वक्त सीएसआईआर में भी काम किया। बताते हैं कि उन दिनों राजीव ने डॉ. कलाम के साथ भी काम किया। सीएसआईआर छोड़ने के बाद राजीव की जिंदगी का एक ही मकसद रह गया था राष्ट्र की सेवा।
राजीव के मुताबिक, विदेशी कंपनियों को भारत में कारोबार करने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां घटिया माल बनाकर भारतीयों को बेचती हैं।
एमटेक करने के बाद से इन्होंने पूरे देश में घूम-घूमकर स्वदेशी का प्रचार किया। खुद को गांधीवादी कहने वाले राजीव दीक्षित ने 13 हजार से ज्यादा व्याख्यान दिए। इसके बाद इनके पूरे देश में 6 लाख से ज्यादा समर्थक हो चुके थे।

राजीव दीक्षित के दावे जानकर हैरान रह जाएंगे...


— राजीव का मानना था कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी कोई हादसा नहीं, बल्कि अमेरिका द्वारा किया गया एक परीक्षण था। इस परीक्षण के शिकार बने थे भारत के गरीब लोग।
— राजीव कहते थे कि 9/11 यानी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर किया गया हमला खुद अमेरिका की सोची समझी रणनीति थी। अमेरिका में लोन लैंटर्न सोसाइटी ने इस बात को उठाया था, इस बात का समर्थन राजीव भी करते थे।
— राजीव दावा करते थे कि ममता बनर्जी बीफ खाती हैं। इसी वजह से ममता ने अटल बिहारी वाजपेयी को यह धमकी दी थी कि उन्होंने देश अथवा पश्चिम बंगाल में बीफ बैन कराया तो सरकार गिरवा देंगी।
— राजीव के मुताबिक, यूनीलीवर कंपनी का नाम हिंदुस्तान लीवर इसलिए कर दिया गया ताकि देश के लोगों को बेवकूफ बनाया जा सके। लोग सोचेंगे कि यह एक भारतीय कंपनी है और इसका सामान खरीदेंगे।
— राजीव दीक्षित ने एक व्याख्यान में कहा था कि मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरू और लेडी एडविना एक ही कॉलेज में पढ़े थे। एडविना एक चालाक महिला थी, जो दोनों को हैंडल करती थी। जिन्ना और नेहरू चरित्र के बेहद हल्के आदमी थे।एडविना के पास नेहरू की कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें थी, जिनके आधार पर एडविना ने नेहरू को ब्लैकमेल करके भारत का बंटवारा कराया। हांलाकि राजीव के बहुत से दावे विवादास्पद हैं और जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कई दावे गलत साबित हो चुके हैं।

साल 2009 में राजीव दीक्षित बाबा रामदेव के संपर्क में आए। राजीव ने ही रामदेव को देश की समस्याओं और काले धन वगैरह के बारे में बताया था। राजीव के समर्थकों का दावा है कि 2009 में भारत स्वाभिमान आंदोलन की शुरूआत हो चुकी थी, और राजीव इस ट्रस्ट के सचिव पद पर थे। भारत स्वाभिमान आंदोलन शुरू करते समय राजीव और रामदेव ने यह शपथ ली थी कि हम दूसरों को 100 फीसदी मतदान के लिए प्रेरित करेंगे, भारत को पूरी तरह से स्वदेशी बनाएंगे। ईमानदार और बुद्धिमान लोगों को जोड़कर देश का विकास करेंगे। राजीव के कुछ समर्थक दावा करते हैं कि बाबा रामदेव राजीव की लोकप्रियता से घबरा गए थे।

जानिए कैसे हुई थी राजीव दीक्षित की मौत?


नवंबर, 2010 के आखिरी दिनों में राजीव छत्तीसगढ़ दौरे पर थे। 29 नवंबर को कई जगहों पर व्याख्यान देने के बाद वह 30 नवंबर को भिलाई पहुंचे जहां उनकी तबियत खराब हो गई। दुर्ग जाते समय उनकी तबियत कार में ही इतनी खराब हो गई कि दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें भिलाई के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। फिर उन्हें अपोलो बीएसआर हॉस्पिटल शिफ्ट किया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। राजीव के समर्थक आज भी कहते है कि मौत के बाद राजीव की डेड बॉडी नीली पड़ गई थी, ऐसा लग रहा था कि उन्हें जहर दिया गया हो। समर्थकों ने उनकी पोस्टमॉर्टम कराने की जिद की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। राजीव की डेड बॉडी को हरिद्वार में रामदेव के पतंजलि आश्रम ले जाया गया, जहां उनकी उनकी अंत्येष्टि कर दी गई। खुद राजीव के परिवार ने भी उनके मौत से जुड़े इस विवादास्पद मुद्दे को दोबारा उठाने की जहमत नहीं की।

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