महाभारत के युद्ध के बारे में आज भी सभी जानते हैं और ये हिन्दुओं के प्रसिद्ध ग्रथों में से भी एक है। महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों के बीच लड़ाई हुई थी। पांडव 5 थे और कौरव 100 लेकिन फिर भी इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी क्योकिं उनके साथ स्वयं कृष्ण भगवान थे।

ये युद्ध समाप्त हो जाने के बाद चारों ओर लाशों का ढेर लगा हुआ था और विलाप के स्वर गूंज रहे थे। स्त्रियां जिन्होंने अपने पतियों या बेटों को खोया, बच्चे जिन्होंने अपने पिताओं को खोया और सभी मरने वालो के परिवार जनों के विलाप स्वर हर जगह सुनाई दे रहे थे।

युधिष्ठिर ने युद्ध में मारे गये समस्त योद्धाओं का अंतिंम संस्कार कराया। बहुत सी स्त्रियां अपने पतियों के मारे जाने के कारण विधवा हो गई थी। ऐसे में उन्होंने खुद ने भी पतियों के साथ चिता में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। युधिष्ठिर यह सबकुछ अपनी आखों के सामने देखकर हैरान हो गये और उनका हृदय ग्लानि से भर उठा।

कुछ विधवाओं ने भगवान के शरण में जाने की भी सोची और भगवान श्री कृष्ण से उन्हें मुक्ति देने के लिए प्रार्थना की। इसलिए उन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें गंगा नदी में डुबकी लगाने को कहा जिस से कि उन्हें मुक्ति मिल सके और उनका जीवन जब समाप्त हो जाए तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति भी हो सके।

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