कैलाश पर्वत से रात में आती हैं फुसफुसाहट की आवाजें, हर पर्वतारोही की हुई मौत
अभी कुछ ही वर्षों पहले रूस के एक डॉक्टर ने दावा किया था कि कैलाश पर्वत वास्तव में मानव निर्मित पिरामिड है, जो कि कई छोट-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव सपरिवार विराजते हैं। यह पर्वत अलौकिक शक्तियों से भरा हुआ है। इसीलिए जिस भी इंसान ने इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, उसकी मौत जरूर हो गई।
मौत से जुड़ी इन्हीं घटनाओं के चलते चीन की सरकार ने कैलाश पर्वतारोहण को प्रतिबंधित कर रखा है। बताया जाता है कि 20वीं शताब्दी में कुछ पर्वतारोहियों ने कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह अचानक गायब हो गए। कैलाश पर्वत के रहस्यों का उजागर करने के लिए रूस के डॉक्टर ने इसकी चोटी पर चढ़ने का निर्णय लिया था। इस डॉक्टर की टीम में कई भूविज्ञानी तथा भौतिकी के जानकार शामिल थे। इस टीम ने कैलाश पर्वत के नजदीक महीनों बिताए। इसके बाद इस पर्वत से जुड़े रहस्यों का खुलासा किया। इस टीम के मुताबिक, कैलाश पर्वत एक मानव निर्मित पिरामिड है। उन्होंने इस पर्वत पर परलौकिक गतिविधियां होने की बात कही है।
इस यात्रा से लौटने के बाद रूस के डॉक्टर मुल्दाशिफ ने अपनी किताब में लिखा है कि रात के समय कैलाश पर्वत के खामोश मंजर से अजीब किस्म की फुसफुसाहटें आती हैं। इन आवाजों से ऐसा लग रहा था कि इस पर्वत के अंदर आज भी कुछ लोग रहते हैं। रूस के डॉक्टर की यह टीम कैलाश पर्वत के आसपास लगभग एक साल तक रही थी।
इसके अलावा तिब्बती गुरुओं का भी ऐसा मानना है कि कैलाश पर्वत के चहुंओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह रहता है। रूसी डॉक्टर मुल्दाशिफ ने किताब में लिखा है कि एक साइबेरियाई पर्वतारोही से उन्हें जानकारी मिली थी कि कुछ लोग कैलाश पर्वत के एक निश्चित बिंदू तक पहुंच गए थे लेकिन वह समय से पहले ही बूढ़े दिखने लगे जिसके चलते एक साल बाद ही उनकी मौत हो गई। माना जाता है कि कैलाश पर्वत के आस-पास शम्बाला नाम का एक रहस्यमयी राज्य है। जहां आज भी सिद्ध और तपस्वी लोग वास करते हैं।