यह निश्चित है कि लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी सरकार जनता के लिए नई-नई योजनाएं लागू करने की सोच रही होगी। कर्ज माफी से लेकर लोकलुभावन योजनओं के साथ-साथ कई रियायती कदम उठाए जाएंगे। लिहाजा सरकारी खजाने का खाली होना लाजिमी है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत सरकार पर अब तक कितना कर्ज लद चुका है। अगर नहीं तो, जानकारी के लिए बता दें कि सितंबर 2018 तक के आंकड़ोें के हिसाब से केंद्र सरकार पर अब तक कुल 82.03 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है। जबकि साल 2014 में यही कर्ज 54.90 लाख करोड़ था।

अब हम बात करते हैं सार्वजनिक कर्ज की, जो सरकार अपने नागरिकों से लेती है। सार्वजनिक कर्ज का मतलब है प्रति व्यक्ति कर्ज। यह बात सभी लोगों ने सुनी होगी कि भारत में बच्चा पैदा होता है तो इतने रूपए का कर्ज लेकर पैदा होता है, बस यही है सार्वजनिक कर्ज। सरकार बॉन्‍ड और ट्रेज़री बिल ज़ारी करके कर्ज लेती है।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साढ़े चार साल में सार्वजनिक कर्ज यानि पब्लिक डेट 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वित्तीय वर्ष 2018 के शुरूआती 8 महीने में सरकार का राजकोषीय घाटा 7.17 लाख करोड़ रहा, जो टारगेट 6.24 लाख करोड़ के मुकाबले 114 फीसदी ज्यादा है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि मोदी सरकार अपनी तय सीमा से पहले से ही ज्यादा खर्च कर चुकी है।

बता दें कि कमाई के मुकाबले ज्यादा खर्च करने से ही राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है। सरकार की कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। हांलाकि इंडिया टुडे में प्रकाशित समाचार के मुताबिक, पिछले साढ़े चार साल में सरकार की देनदारियों में 49 फ़ीसदी बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्रालय 2010-11 से सरकारी कर्ज पर एक सालाना स्टेटस पेपर ला रहा है।

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