बात करे कांग्रेस पार्टी की युवा नेता की तो एक साल पहले तक देश का धुरंधर राजनीतिक विश्लेषक पूरे विश्वास से यह नहीं कह सकता था कि आने वाले दिनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और फिर सचिन पायलट कांग्रेस को छोड़ सकते हैं।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट से कहीं ज्यादा अनुभवी राजनेता हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो इसके पीछे अनुभवी नेताओं की राजनीति या राजनीतिक होमवर्क नहीं था, बल्कि इसमें मुख्य योगदान इन दोनों प्रदेशों में इन्हीं युवा नेताओं का था, जिन्हें आज कांग्रेस खो चुकी है।

लेकिन सिंधिया और पायलट के बाद भी क्या कांग्रेस से बाहर जाने वालों का सिलसिला थम जाएगा? सच तो यह है कि हर दिन सैकड़ों कार्यकर्ता और स्थानीय स्तर के नेता कांग्रेस से अलग होकर भाजपा या दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं या फिर नई पार्टी बनाने के बारे में सोच रहे हैं। लेकिन ये बहुत छोटे स्तर के कार्यकर्ता या स्थानीय स्तर के नेता होते हैं, इसलिए मीडिया में ऐसे खबरें नहीं आ पाती हैं। आखिर कांग्रेस को छोड़ने का यह सिलसिला लगातार क्यों बना हुआ है? इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास कोई भरोसे लायक विचारधारा का नहीं होना है।

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