आज ही के दिन 7 सितंबर 1964 को चंडीगढ़ में देश की सबसे बहादुर लड़की नीरजा भनोट ने जन्म लिया था। नीरजा भनोट की बहादुरी पूरी दुनिया अच्छे से वाकिफ है। हीरोइन ऑफ हाईजैक के नाम से मशहूर नीरजा की जिंदगी की कहानी उनकी हिम्मत की कहानी बयां करती है। आज हम आपको उनके छोटे से जीवन की बड़ी बहादुरी के बारे में बताने जा रहे है

- नीरजा एक आम लड़की तरह थी, दिल खोल कर जीने वाली, जिसे राजेश खन्ना के गाने पसंद थे। खूबसूरत और चुलबली होने के साथ वह एक हिम्मत वाली लड़की भी थीं। तभी तो वह इतनी कम उम्र में 'हीरोइन ऑफ हाईजैक' बन गई।

- उनका जन्म पत्रकार हरीश भनोट और रमा भनोट के घर साल1963 में हुआ था। उनके माता-पिता ने जन्म से पहले ही तय कर लिया था कि अगर उनके घर बेटी का जन्म हुआ तो वे उसे 'लाडो' कहकर बुलाएंगे।

- साल 1985 में नीरजा की शादी एक बिजनेसमैन से हुई। शादी के बाद वो अपने पति के साथ खाड़ी देश चली गईं। जहां उन्हें दहेज के लिए यातनाएं दी जाने लगीं। नीरजा इन सबसे इतना तंग आ गईं कि शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और फिर वापस नहीं लौटीं।



- मुंबई आते ही उन्होंने कुछ मॉडलिंग कॉन्ट्रेक्ट पूरे किए और उसके बाद पैन एम एयरलाइन्स ज्वाइन किया। इस दौरान उन्होंने एंटी-हाईजैकिंग कोर्स भी किया।

- नीरजा अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन थीं और अक्सर उनके डायलॉग बोला करती थीं। उन्होंने लगभग 22 विज्ञापनों में काम किया था।

- साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए आवेदन किया और सेलेक्शन के बाद उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर ट्रेनिंग के लिए मियामी और फ्लोरिडा भेजा गया लेकिन वो वापिस पर्सर के तौर पर आईं। पैन एएम के साथ- साथ ही नीरजा मॉडलिंग भी कर रही थीं।

- 5 सिंतबर 1986 को यानी नीरजा के 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद लोगों ने हाईजैक कर लिया। इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे। जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए।

- आतंकवादी चाहते थे कि फ्लाइट को साइप्रस ले जाया जाए जहां वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करवा सकें। ये आतंकी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकीयों को नुकसान पहुंचा रहे थे। प्लेन हाईजैक करने के कुछ समय बाद उन्होंने एक अमेरिकी को प्लेन के गेट पर लाकर गोली मार दी। आतंकियों ने नीरजा को सभी पैसेंजर्स के पासपोर्ट इकट्ठे करने को कहा जिससे वो यह पहचान सके कि कौन से यात्री अमेरिकी हैं।


- प्लेन को हाईजैक करने के 17 घंटे बीतने के बाद आतंकियों ने यात्रियों की हत्या करनी शुरू कर दी। नीरजा ने हिम्मत दिखाते हुए इमरजेंसी गेट खोल दिया और उन्होंने पैसेंजर्स को वहां से निकालना शुरू किया। जिस समय वो तीन बच्चों को विमान से बाहर सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रही थीं उसी वक्त एक आतंकवादी ने उन पर बंदूक तान दी। मुकाबला करते हुए नीरजा वहीं शहीद हो गईं।

- नीरजा की बहादुरी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूर कर दिया। नीरजा लगभग 360 लोगों की जान बचाई थी। भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया। नीरजा को पाकिस्तान सरकार ने 'तमगा-ए-इंसानियत' का अवार्ड दिया।

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