पश्चिम एशिया में दो वर्ष पूर्व किये गए अब्राहम समझौते ने शांति एवं समृद्धि की एक नई उम्मीद जगाई थी
अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर की दूसरी वर्षगांठ पूरी होने पर इसका मूल्यांकन दर्शा रहा है कि संबंधित लोगों के बीच निकटता होने के साथ ही उनके व्यापारिक अवसरों में वृद्धि हो रही है। स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य, नवाचार, प्रौद्योगिकी, कृषि, जल, व्यापार, पर्यटन और ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में नए संयुक्त उपक्रम लगाए जा रहे हैं। हमने अपने विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने, कला के क्षेत्र में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साझा इतिहास एवं विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम किया है।
इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने दो वर्ष पूर्व 15 सितंबर को अमेरिका की मध्यस्थता वाले अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने पश्चिम एशिया में शांति एवं समृद्धि की एक नई उम्मीद जगाई थी। यह भारत और इसके संपन्न व्यापारिक समुदाय के लिए भी रोमांचक अवसर लेकर आया। अब्राहम समझौता संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में हमारे देशों के बीच परस्पर सहयोग का परिणाम था। इससे इजराइल, खाड़ी देशों के निकट आया जो साझा मूल्यों और पारस्परिक हितों को साझा करते हैं जिससे शांति की पहल को प्रोत्साहन मिला।
हमारा लक्ष्य आपसी समझ और अपने लोगों के बीच घनिष्ठ मित्रता को और मजबूत करना है। सीधी उड़ानों के आरंभ होने से पर्यटकों, कारोबारियों और छात्रों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर हमारे देशों के बीच संपर्क सुविधा को बढ़ावा मिला है। लोग नई जगहों का पता लगाने, स्थानीय संस्कृतियों के बारे में जानने और आजीवन बनी रहने वाली नई दोस्ती करने को उत्सुक हैं। क्षेत्रीय संपर्क को प्रोत्साहन मिलने से भारत के लोगों को भी लाभ हुआ है। पूरे खाड़ी में संपन्न भारतीय प्रवासी अब संयुक्त अरब अमीरात से इजराइल या इजराइल से बहरीन के लिए सीधे उड़ान भर सकते हैं।
भारतीय छात्रों के लिए आवाजाही सुगम हुई है। हमारे विश्वविद्यालयों से वे आसानी से संपर्क कर पा रहे हैं और कार्यक्रमों के बारे में सुगमता से जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। इस समझौते ने बहुराष्ट्रीय सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया है। आर्थिक अवसर भारत तक पहुंच रहे हैं। भारत में निजी क्षेत्र के साथ हम पहले ही यूएई, इजराइल, बहरीन और अमेरिका की कंपनियों के बीच वाणिज्यिक सहयोग देख चुके हैं। उच्च स्तरीय आर्थिक सहयोग का एक ठोस उदाहरण ‘आइ2यू2’ समूह का गठन है, जिसे इजराइल, भारत, यूएई व अमेरिका द्वारा बनाया गया है। इसे सबसे पहले अब्राहम समझौते के माध्यम से संभव बनाया गया। यह समूह जल, ऊर्जा, परिवहन, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में संयुक्त निवेश पर ध्यान केंद्रित करेगा।