द्वितीय विश्व युद्ध के दिनों में आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी और मौत से जुड़ी जितनी रहस्यमयी बातें हैं, शायद भारत में उतनी किसी भी राजनीतिक हस्ती को लेकर नहीं होती है।
आधुनिक भारतीय इतिहास के मुताबिक, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में हो गई थी। तब से लेकर आज तक इस महान नेता के मौत से जुड़े रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। हांलाकि अब तक नेता जी की मौत से जुड़े कई गोपनीय दस्तावेजों का खुलासा हो चुका है।

इस स्टोरी में आज हम आपसे जिस गोपनीय दस्तावेज की बात करने जा रहे हैं, वह आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर देगा। इस गोपनीय दस्तावेज का खुलासा जनवरी 2016 में हुआ था। बता दें कि सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी और मौत पर सैकड़ों रिसर्च किए जा चुके हैं, लेकिन जनवरी 2016 में डिस्कवरी चैनल ने एक फिल्म बनाई, नाम है-सुभाष चंद्र बोस: द मिस्ट्री। इस फिल्म में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि वास्तव में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ क्या हुआ था? इसका जवाब बहुतेरे किरदारों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति से होकर गुजरता है।


यह सवाल हर भारतवासी के जेहन में घूमता रहता है कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मौत क्या वास्तव में ताइवान के ताइपेई मेें विमान हादसे के वक्त हुई थी। या फिर नेता जी भारत लौटकर देश में कुछ सालों तक भिक्षु बनकर रहे थे। सवाल यह भी यह उठता है कि भारत सरकार ने नेता जी के मौत से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलों को इतने दिनों तक गोपनीय क्यों बनाए रखा था? आपको जानकारी के लिए बता दें कि ब्रिटिश आर्मी की रॉयल सिग्नल्स रेजीमेंट के पूर्व अधिकारी नील मिल को अनोनिमस नाम के इंटरनेट ग्रुप द्वारा दी गई फोटो और वीडियो का विश्लेषण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

दरअसल यह फुटेज ताशकेंट मैन नाम के एक व्यक्ति के बारे में है, जो 10 जनवरी 1966 को भारत-पाक ताशकंद घोषणा के दौरान मौजूद था। अनुमान लगाया जाता है कि यह व्यक्ति नेताजी बोस ही है। इस मूवी में यह सवाल उठाया गया है कि यदि नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1966 में जीवित थे, फिर वे 21 साल पहले विमान दुर्घटना में कैसे मर सकते हैं।

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