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केरल के सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। अब हर उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बावजूद अभी तक कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी है। आपको बता दें, सबरीमाला मंदिर में 10 साल की बच्ची से लेकर 50 साल तक की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। मंदिर छह दिन खुले रहने के बाद सोमवार शाम 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया। वहीं कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन का दौर जारी है इस बीच, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा, 'अगल रजस्वला अवस्था में महिलाएं जब खून से सना पैड लेकर दोस्त के घर नहीं जातीं तो भगवान के घर कैसे जा सकती हैं।'

स्मृति इरानी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं पारसी समुदाय और उनके पुजारियों का सम्मान करती हूं और दो पारसी बच्चों की मां होने नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए किसी कोर्ट के दरवाजे पर नहीं गई। इसी तरह मासिकधर्म वाली पारसी या गैरपारसी महिलाएं किसी भी अग्नि मंदिर में प्रवेश नहीं करती हैं।' उन्होंने कहा, 'ये दो तथ्यात्मक बयान हैं।'

एक कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा, 'पूजा करना मेरा अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का मेरा कोई अधिकार नहीं एक कैबिनेट मंत्री होने के नाते मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की इज्जत करती हूँ। क्या आप खून से सने सैनिटरी पैड को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? नहीं न, तो आप उसे भगवान के घर में क्यों ले जाएंगे।' अब उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही है।

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