इंटरनेट डेस्क। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया ने यह पहली बार देखा जब इंडियन आर्मी ने केवल 2 दिनों में पाकिस्तानी सेना के पांच सौ वाहन, 200 जवान तथा 34 टैंक को पूरी तरह से तबाह कर दिया।

जी हां, हम 1971 युद्ध के आखिरी दिनों में 4 दिसंबर को जैसलमेर जिले की लोंगेवाला चौकी पर हुए भारत-पाकिस्तानी आर्मी के बीच भिड़ंत की बात कर रहे हैं। जहां मात्र 90 भारतीय सैनिकों ने 2000 पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी।

4 दिसंबर 1971 की शाम जैसलमेर के लोंगेवाला चेक पोस्ट पर तैनात मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी केवल 90 भारतीय जवानों के साथ तैनात थे। तभी उन्हें सूचना मिली कि पाकिस्तानी सेना के 2000 जवान बख्तरबंद गाड़ियों तथा टैंकों के साथ लोंगेवाला की ओर बढ़ रहे हैं।

लेकिन इंडियन आर्मी के इन 90 जवानों ने रामगढ़ चौकी के लिए रवाना होना मुनासिब नहीं समझा बल्कि लोंगेवाला चेकपोस्ट पर रूककर पाकिस्तानी सेना से लड़ने का निर्णय लिया।

पूरी तरह से अंधेरा हो चुका था, अब इंडियन आर्मी ने बिना देरी किए अपनी तैयारी पूरी कर ली। पाकिस्तानी सेना के टैंकों ने बिना देरी किए लोंगेवाला चेकपोस्ट को चारो तरफ से घेर लिया। इंडियन आर्मी के पास केवल जीप पर लगी मोर्टार गन और रिकॉयललैस राइफल थीं। इंडियन आर्मी ने इतनी दमदार जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना ने समझा कि यहां तो पूरी फौज मौजूद है।

रात होते होते इंडियन आर्मी के 90 जवानों वाली टुकड़ी ने 12 पाकिस्तानी टैंकों को तबाह कर दिया था। पूरी रात केवल एक आवाज गूंजती रही-जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल। सेना की इस टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना को 8 किमी. अंदर तक पीछे खदेड़ दिया। दरअसल पाकिस्तानी सेना लोंगवाला को रौंदते हुए रामगढ़ चेकपोस्ट इसके बाद जैसलमेर पर कब्जा करना चाहती थी।

पाकिस्तानी सेना के आक्रमण की खबर सुनकर जैसलमेर के विंग कमांडर बावा पूरी रात घूम घूम काटी तथा सुबह होते ही 2 हंटर विमानों के साथ लोंगवाला की ओर कूच किया।

5 दिसंबर 1971 को सुबह साढ़े सात बजे एमएस बावा के हंटर विमान ने पाकिस्तानी सेना के टैंकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। कुल दो दिनों में इंडियन आर्मी के हंटर विमानों ने 34 टैंकों को बर्बाद कर दिया।

Related News