18 अक्टूबर 1925 को नैनीताल के बलूती गांव में पैदा हुए एनडी तिवारी पूरा नाम है नारायण दत्त तिवारी। भारत छोड़ों आंदोलन के समय अरेस्ट हुए और 15 महीने बाद रिहा हुए। इसके बाद सीधे पहुंचे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी। 1947 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष तथा 1945-49 के बीच ऑल इंडिया स्टूडेंट कांग्रेस के सेक्रेटरी रहे।

आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतकर विधायक बने। 1957 में नैनीताल से जीते तथा 1963 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। 1968 में नेहरू युवा केंद्र की स्थापना की। 1969 से 1971 के बीच इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहे।

दोस्तों, आपको बता दें कि एनडी तिवारी 1976-77, 1985-85, 1988-89 तक तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री भी बने। इतना ही नहीं 2002-2007 तक वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। चरण सिंह की सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रहे। प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कैबिनेट में विदेश-मंत्री रहे। 2007 से 2009 तक वह आंध्र प्रदेश के गवर्नर रहे।

90 के दशक में वह प्रधानमंत्री पद के भी दावेदार रहे थे। लेकिन उनकी जगह पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। 90 के दशक में एनडी तिवारी कांग्रेस में हाशिए पर जा चुके थे। खैर जो भी हो, इस सख्स का विवादों से नाता हमेशा जुड़ा रहा है।

दोस्तों आपको बता दें कि कांग्रेस में मौजूद कई नेताओं को गांधी परिवार की चापलूसी में जूता-चप्पलें उठाते कई बार देखा जा चुका है। मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे 68 वर्षीय वी नारायणसामी राहुल गांधी के लिए हाथ में चप्पल लेकर खड़े नजर आए थे। दरअसल यह बात उन दिनों की है जब राहुल गांधी बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने के लिए पुडुचेरी गए थे। पत्रकारों के पूछने पर नारायणसामी ने कहा था कि यह चापलूसी नहीं बल्कि शिष्टाचार है।

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साल 2010 में भी महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री रमेश बागवे ने राहुल गांधी के जूते उठा कर जी हुजूरी की थी। दरअसल कांग्रेस में ऐसी दिलचस्प घटनाएं शुरू से ही देखने को मिलती रही हैं। मैं बात कर रहा था कि एनडी तिवारी की, इन्होंने भी राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी की चप्पलें उठाकर खूब सुर्खियां बंटोरी थी। 1970 के दशक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तिवारी ने संजय गांधी की चप्पलें उठाई थीं। उस वक्त कांग्रेस में संजय गांधी की तूती बोलती थी।

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