पं. नेहरू ने लाल बहादुर शास्त्री को कहा था असभ्य, जानिए क्यों
इंटरनेट डेस्क। इस महान शख्स ने ताशकंद समझौते के दौरान पाकिस्तानी जनरल अयूब की अकड़ ढीली कर दी थी। जी हां, हम देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की बात कर रहे हैं, जिन्होंने विश्व विख्यात जय जवान और जय किसान का नारा दिया था।
मजबूत हौसले और बुलंद इरादों वाले शास्त्री जी भले ही छोटे थे, लेकिन यह देश के सबसे ताकतवर शख्स थे। इस दुनिया से अलविदा लेते वक्त लाल बहादुर शास्त्री के पास संपत्ति के नाम सिर्फ एक धोती-कुर्ता और कुछ किताबें ही शेष थीं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि 2 अक्टूबर 1904 को यूपी के मुगलसराय में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री बहुत ही गरीब परिवार से थे। साल 1926 में लाल बहादुर शास्त्री ने वाराणसी के काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की थी।
आज जब शादी में लोगों को बड़े-बड़े गिफ्ट मिलते हैं, तब शास्त्री जी लाखों लोगों के लिए मिसाल है। क्योंकि उन्होंने अपनी शादी में दहेज के रुप में केवल एक खादी का कपड़ा और चरखा लिया था।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पूरे देश ही नहीं वरन विश्व में अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए विख्यात थे। अपने प्रधानमंत्री काल के दौरान एक विभाग ने उनके बेटे को अनुचित प्रमोशन दे दिया, इसकी जानकारी मिलते ही शास्त्रीजी ने विभाग के उस फैसले को तुरंत रद्द कर दिया। सच है, देश को ऐसा ईमानदार और सादगीपूर्ण व्यक्तिव का धनी प्रधानमंत्री मिलना अब बहुत मुश्किल है।
इतना ही नहीं, देश-दुनिया के किसी भी कोने में लाल बहादुर शास्त्री धोती-कुर्ता में ही पहुंच जाते थे। शायद इसीलिए एक बार देश के प्रथम प्रधान पं. जवाहर लाल नेहरू ने शास्त्री जी को असभ्य कहा था। यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि लाल बहादुर शास्त्री ही ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने यूपी में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार का इस्तेमाल शुरू करवाया था। साल 2004 में आरबीआई ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्मशती पर 100 रूपए का सिक्का जारी किया था।