पाकिस्तान के इतिहास में आपने जिन्ना का नाम तो सुना ही होगा। जिस तरह भारत में महात्मा गांधी को माना जाता है उसी तरह पाकिस्तान में जिन्ना को पूजा जाता है ,जिन्ना के साथ साथ एक और नाम पाकिस्तान में मशहूर है और वो है अयूब खान। ये नेता एक ऐसा नेता था जो अपना साथ देने वालों और बफादार लोगों को भी रास्ते से हटा सकता था।

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आइए पहले जान लेते हैं कि अयूब खान कौन थे।

1956 में सेना का राज और सेना की बागडोर अयूब खान के हाथ में थी। इस्‍कंदर मिर्जा ने उन्हें यह भार सौंपा था जो अफसर थे। अयूब खान उनके काफी खास थे लेकिन अयूब मन बना चुके थे कि वो मिर्जा को अपने रास्‍ते से परे हटाना चाहते हैं। उन्होंने अपनी एक कैबिनेट बनाई और 27 अक्‍टूबर को मिर्जा को अपनी पत्‍नी के साथ मुल्‍क छोड़कर जाने का आदेश दिया। इस्कंदर के पास कोई और चारा नहीं था।

1958 में अयूब खान को सेना प्रमुख का पद मिला। इसके बाद पाकिस्तान को उन्होंने अपने बस में कर लिया और खुद वहां का तानाशाह बन गया।

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खुद को कहते थे कुत्ता

ये 1965 में एक कमेटी के दौरान अयूब खान खुद के मुँह मिया मिट्ठू हो रहे थे और उन्होने कहा कि आजतक पाकिस्‍तान को उनके जैसा कोई काबिल नेता नहीं मिला।

कुछ सालों बाद 1969 में अयूब खान को जबरन रिटायर कर दिया गया। क्योकिं तब तक उनका पकिस्तान पर रौब कम हो चूका था। कुछ समय बाद जब वे अपनी पत्नी के साथ घूम रहे थे तो कुछ लोगों ने उन्हें देख कर पहचान लिया और नारे लगाए राष्‍ट्रपति अयूब जिंदाबाद। ये सब देख कर अयूब दंग रह गए और उनकी आँखों में आंसू आ गए। इसके बाद उन्होंने खुद कहा– अयूब कुत्ता है।

एक बार उनसे एक छात्र ने पूछा कि आप फिर से राष्ट्रपति क्यों नहीं बन जाते तब अयूब ने बड़ी शर्मिंदगी से जवाब में कहा – नहीं मेरे बच्‍चे, अयूब कु्त्ता अब बूढा हो गया है।

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