पॉलिटिकल डेस्क। भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के बीच की लड़ाई कई सदियों से चली आ रही हैं। आजादी के बाद से चले आ रहे इन मतभेदों में दोनों देशों के बीच कई बार समझौते के प्रयास हुए लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हुए। कुछ समय पहले ही पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनी हैं। जिसके बाद भारत के साथ शांति समझौते के प्रयास पाकिस्तान की तरफ से फिर से तेज कर दिए गए हैं।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना हैं कि, दो परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध का विचार आना ही मूर्खता हैं। तमाम शांति वार्ताओं के बाबजूद पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा पर आतंकी हमले होते रहे हैं। जिसे देखते हुए भारत और अमेरिका समेत अन्य देशों ने भी पाकिस्तान को शक की नजर से देखना शुरू कर दिया हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में खटास आई हैं।

देश की बिगड़ती आर्थिक हालत से चिंतित पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बाद पाकिस्तान की सेना भारत के साथ रिश्तों को बेहतर करने का प्रयास करने में लगी हैं। मौजूदा और पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने ब्लूमबर्ग से कहा हैं कि, वे पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्तों को सुधारे ताकि उनका सहयोग पाकिस्तान को प्राप्त हो। रिश्ते सुधारने के लिए चीन की तरफ से भी पाकिस्तान पर दबाब बनाया जा रहा हैं।

चीन पर बहुत ज्यादा निर्भरता को लेकर भी पाकिस्तान चिंतित है। भारत के साथ मधुर रिश्तों के अथक प्रयासों में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा शामिल हैं। जो अपने पद पर संभवतया आखिरी कार्यकाल निभा रहे हैं। बाजवा ने पिछले हफ्ते सिखों खोले गए करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास को भारत के साथ शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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