पाक सेना ने जश्न मनाने के लिए तैयार कर रखा था हलवा-पराठा, भारतीय जांबाजों ने चखा स्वाद
दोस्तों, साल 1999 का कारगिल युद्ध हर भारतवासी को याद है। इस युद्ध में भी पाकिस्तानी सेना को हार का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन इस स्टोरी में हम आपको जो रोचक बात बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जी हां, दोस्तों तोलोलिंग की चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी सेना के जवान अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि वह युद्ध के बाद जश्न मनाने के लिए कड़ाहों में हलवा, पराठा और मेवों से बनी मिठाईयां तैयार करके रखते थे।
बता दें कि 13 जून 1999 की सुबह भारतीय सेना के जवानों ने तोलोलिंग की चोटियों पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाए गए हलवा, पराठा और मेवों से बनी मिठाईयां खाकर अपनी जीत का जश्न मनाया।
बता दें कि कैप्टन अखिलेश सक्सेना की अगुवाई वाली राजपूताना राइफल्स की टीम ने तोलोलिंग पर कब्जा किया था। इस टीम ने अपने बैग में खाने की जगह गोली और हैंडग्रेनेड रखने का फैसला किया था। तोलोलिंग चोटी तक पहुंचते-पहुंचते टीम के सभी जाबांजों का खाना समाप्त हो चुका था। अब सिर्फ पानी का सहारा बचा था, भारतीय सेना के जवान भूख-प्यास मिटाने के लिए सिर्फ एक से दो घूंट पानी पी रहे थे।
कैप्टन अखिलेश सक्सेना के मुताबिक, दो दिन लंबी चली लड़ाई के दौरान इंडियन आर्मी के जवान भूखे पेट पाकिस्तानी आतंकियों का सामना करते रहे। आखिरकार 13 जून की सुबह 4 बजे हमारी टीम तोलोलिंग की चोटी पर कब्जा करने में सफल हो गई। कैप्टन अखिलेश सक्सेना कहते हैं कि तोलोलिंग चोटी के थोड़े से ढलान पर एक छोटी सी झोपड़ी बनी थी, लेकिन झोपड़ी तक पहुंचना आसान नही था। क्योंकि सामने की चोटियों पर पाकिस्तानी सेना मौजूद थी।
बावजूद इसके मैं और मेरे एक साथी ने झोपड़ी की तरफ बढ़ने का फैसला लिया और झोपड़ी के अंदर हमने पाया कि पाकिस्तानी सेना ने जीत का जश्न मनाने के लिए बड़े बड़े कडाहों में हलवा बना रखा था। वहां भारी तादाद में पराठे, ड्राई फ्रूट्स, कराची हलवे के पैकेट और मिठाइयां मौजूद थीं।
फिर क्या था स्मोग ग्रेनेड का सहारा लेकर मैं और मेरा साथी तोलोलिंग की चोटी पर सुरक्षित वापस आ गए। जहां हमने पाकिस्तानी सेना द्वारा पकाए गए हलवा-पराठे और मिठाईयों से अपनी जीत का जश्न मनाया।