आप सोच रहे होंगे कि गले में सांप लपेटे हुए यह कोई साधारण आदमी है, जी नहीं, नाम है संजय पासवान। कभी अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में राज्य मंत्री रहे इस शख्स की छवि एक ​दलित नेता और संघ की राजनीति करने वाले के रूप में की जाती है। उस बात को 19 साल बीत चुके हैं, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, जब कि 19 साल पहले यह शख्स सांसद बना, केंद्रीय मंत्री बना और अब विधान पार्षदी?

आखिर राजनीति की गाड़ी इतनी पीछे कैसे लुढ़क गई। सच है शतरंज में एक गलत चाल से वजीर मर जाता है, ठीक कुछ वैसी ही राजनीति भी है। बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियासराय में एक टोला है नवटोलिया, यही है संजय पासवान का असली पता। आरएसएस की राजनीति करने वाले संजय पासवान ने बीएससी करने के बाद एमए किया, फिर पीएचडी भी की।

दरभंगा का कोई भी शख्स यही कहेगा कि संजय पासवान बहुत इंटेलेक्चुअल आदमी है। जी हां, दोस्तों लेबर ऐंड सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट में रीडर थे संजय पासवान। शादी के बाद पत्नी को भी इंटर, ग्रेजुएशन, एमए, पीचएडी सब करवाया। वर्तमान में संजय पासवान की बीवी मगध विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

यह बात उन दिनों की है, जब भरी महफिल में संजय पासवान ने लालू यादव को रूसवा कर दिया था। संजय पासवान उस वक्त बिहार में संघ के जनरल सेक्रटरी हुआ करते थे। उस वक्त नरेद्र मोदी भी संगठन का ही काम देखते थे। शायद उनमें भी संजय पासवान जैसा ही संगठन चलाने का हुनर था। 1996 में एक दलित सभा के दौरान संजय पासवान ने लालू यादव से इतने प्रश्न पूछे कि लालू भरी सभा में सन्न रह गए थे। सभी को अपनी बातों से पस्त करने वाले लालू यादव को संजय पासवान ने पस्त कर दिया था। लालू यादव उस वक्त सभा छोड़कर चले गए थे।

कभी संगठन के लिए एक ही पद पर काम करने वाले संजय पासवान और नरेंद्र मोदी में फर्क सिर्फ इतना है कि नरेंद्र मोदी सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते ही गए, जबकि संजय पासवान सत्ता की सीढ़ियों से लुढ़कते गए।

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