लखनऊ: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बीते शुक्रवार को एक बयान दिया. उन्होंने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले पर बयान दिया. दरअसल, उन्हें यह फैसला बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और इसीलिए उन्होंने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है. दरअसल, ओवैसी ने इस मामले में बयान देते हुए कहा है, 'पीएम मोदी हमारे मोहल्ला अंकल की तरह हैं, जो यह तय करते हैं कि हमें क्या खाना पसंद है, किसे पसंद है और हमें क्या करना है.

आप सभी को यह भी बता दें कि पिछले बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. आप सभी जानते ही होंगे कि वर्तमान में पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। हालांकि, विधेयक को संसद में पारित किया जाना बाकी है। इसी मुद्दे पर ओवैसी ने कहा, ''मोदी सरकार ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है, यह पितृसत्ता है, यही हम सरकार से उम्मीद करते हैं. 18 साल के पुरुष और महिलाएं अनुबंध कर सकते हैं, कारोबार शुरू कर सकते हैं. , प्रधान मंत्री चुनें और सांसदों और विधायकों को चुनें, लेकिन शादी नहीं कर सकते? वे सेक्स और लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं, लेकिन क्या वे अपना जीवनसाथी नहीं चुन सकते?"



उन्होंने आगे कहा कि ''पुरुषों और महिलाओं दोनों को 18 साल की उम्र में कानूनी रूप से शादी करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उस उम्र में उन्हें अन्य सभी उद्देश्यों के लिए कानून द्वारा वयस्कों के रूप में माना जाता है।'' उन्होंने यह भी कहा, "कानून के बावजूद, बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। यदि बाल विवाह पहले ही कम हो गए हैं, तो यह शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण है, आपराधिक नहीं कानून। देश में 1.2 करोड़ बच्चे हैं जिनकी शादी दस साल की उम्र से पहले कर दी गई थी। इनमें से 84 फीसदी हिंदू परिवारों से हैं और केवल 11 फीसदी मुस्लिम हैं।''

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