भारत का मुस्लिम नेता, जिसे पीएम की बात नहीं मानने पर जाना पड़ा था जेल
पॉलिटिकल डेस्क। भारतीय राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस दो ही ऐसे राजनीतिक दल रहे हैं, जिन्होंने केंद्र में सत्ता हासिल की हैं। वर्तमान समय में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार हैं। हालांकि देश की सत्ता सबसे ज्यादा बार कांग्रेस पार्टी ने हासिल की हैं। कांग्रेस पार्टी के पास सत्ता चलाने का अनुभव बीजेपी से काफी ज्यादा हैं। लेकिन बीजेपी के पास भी कई ऐसे बड़े राजनेता रहे हैं जिन्होंने भारतीय राजनीती में अपनी अमिट छाप छोड़ी हैं।
बात करेंगे बीजेपी के मुस्लिम नेताओं के बारे में जिसमें एमजे अकबर, नजमा हेपतुल्लाह, शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी जैसे राजनेताओं के नाम शामिल हैं। इन सब के अलावा हम बात करेंगे पद्म भूषण से नवाजे गए सिकंदर बख्त की जो भारत की राजनीती के बड़े नेता रहे हैं। सिकंदर काफी समय तक कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता रहे। साल 1952 में उन्होंने एमसीडी चुनाव जीता और 1968 में दिल्ली इलेक्ट्रिक सप्लाई अंडरटेकिंग के चेयरमैन बने।
कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता होने के बाबजूद सिकंदर ने कांग्रेस विभाजन के समय पर तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी का समर्थन नहीं किया था। यही कारण रहा कि उन्हें आपातकाल के दौरान 25 जून 1975 को जेल में डाल दिया गया था। वे दिसंबर 1976 तक रोहतक जेल में रहे। जैसे ही फिर आपातकाल ख़त्म हुआ उन्होने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली। और 1977 में दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते।
मंत्रिमंडल गठन के बाद उन्हें मंत्री बनाया गया और सिकंदर मोरारजी देसाई की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर नियुक्त हुए। इसके बाद वे अटल सरकार में विदेश मंत्री रहे और सरकार गिरने के बाद विपक्ष के नेता बने। उन्होंने एक हिन्दू महिला से शादी की जिससे उनके दो बेटे अनिल और सुनील बख्त हैं।