संसद के मॉनसून सत्र के समय राजनीतिक सहमति नहीं बन पाने के चलते तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने तीन तलाक अध्‍यादेश को मंजूरी प्रदान कर दी है। मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक अध्यादेश को लेकर 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जो इस प्रकार हैं। अब कोर्ट के आॅर्डर से ही समझौते का प्रावधान होगा। जमानत देने का ​अधिकार सिर्फ मजिस्ट्रेट के पास होगा। तीन तलाक को गैर कानूनी माना गया है।

पहला संशोधन : तीन तलाक में पहले यह प्रावधान था कि इस मामले में कोई भी केस दर्ज करा सकता था। लेकिन अब नए संशोधन के मुताबिक, केवल पीड़िता अथवा उसके नजदीकी रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकते हैं।

दूसरा संशोधन : पहले यह प्रावधान था कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी और यह गैर जमानती अपराध था। लेकिन संशोधन के बाद मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा।

तीसरा संशोधन : पहले प्रावधान में तीन तलाक में समझौते का कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब कोर्ट में जज के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा।

दोस्तों, आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। मोदी कैबिनेट की ओर से अध्यादेश मंजूर किए जाने के बाद तीन तलाक चाहे मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, व्हाट्सऐप और एसएमएस जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो। इसे गैर कानूनी और अमान्य माना जाएगा।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में इस मसौदे को तैयार किया गया था, इस समूह में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्तमंत्री अरुण जेटली का नाम शामिल था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को अमान्य और गैर कानूनी करार दिए जाने के बाद से एक साल में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए। जिसमें यूपी जैसा राज्य सबसे आगे रहा।

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