दोस्तों आपको बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के दांव पर जेडीयू चीफ नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के दौरान विरोधी दलों को पटकनी देना चाहते हैं, वहीं महागठबंधन प्रशांत किशोर की बनाई पिच पर ही बैटिंग करने के मूड में दिखाई दे रहा है। मिशन-2019 में जहां कांग्रेस सवर्णों के सहारे अपनी चुनावी नैया पार करने में जुटी है, वहीं राजद की रणनीति कांग्रेस से बिल्कुल अलग होगी।

तीन साल पहले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने ही जद-जदयू और कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार की थी। उस दौरान कांग्रेस ने सवर्णों को तरजीह दी थी, तथा जेडीयू नीतीश कुमार को विकास पुरूष का चेहरा बनाया गया था तथा राजद ने कांग्रेस और जदयू से अलग एक नई राह पकड़ी थी।

दोस्तों, आपको बता दें कि लालू यादव की राजद ने अपने हिस्से की कुल 101 सीटों में से 48 पर यादव और 16 पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। कुल मिलाकर राजद ने अपनी पार्टी से अगड़ी जाति को टिकट से वंचित रखा था। राजद ने केवल दो राजपूत तथा एक ब्राह्मण को टिकट दिया था।

जदयू, राजद व कांग्रेस के महागठबंधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कमान संभालनी पड़ी थी। लेकिन आज की तारीख में बिहार की राजनीति करवट ले चुकी है। जहां जीतनराम मांझी महागठबंधन का हिस्‍सा बन चुके हैं वहीं जदयू मुखिया नीतीश कुमार अब राजग से गठबंधन कर चुके हैं।

दोस्तों, आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव-2019 में भी राजद मुस्लिम-यादव समीकरण के आधार पर ही आगे बढ़ने की कोशिश करेगा। चूंकि पिछले तीन दशकों से सवर्ण की नई पीढ़ी कांग्रेस से कतराने लगी है, ऐसे में कांग्रेस खेमे की कोशिश है कि एक बार फिर से सवर्ण मतदाताओं पर भरोसा जताया जाए।

गौरतलब है कि आरक्षण के मुद्दे पर जहां भाजपा और मोदी सरकार की देशभर में फजीहत हुई है, वहीं सर्वण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने का नारा वादा बुलंद करने वाले लालू यादव के सियासी उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ने अपने पिता के वादे को ठंडे बस्ते में डालकर राजद की राजनीति को आगे बढ़ाने का काम किया है।

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