इंटरनेट डेस्क। इंडियन आर्मी के फाइटर प्लेन मिराज-2000 को वायुसेना में 29 जून, 1985 को शामिल किया गया था। कई तकनीकी बदलावों के चलते पहले से ज्यादा ताकतवर और घातक बन चुका है। जिसने 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के दांत खटटे कर दिए थे। आज की तारीख में यह लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की एक प्रमुख ताकत बन चुका है। एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाने वाला मिराज-2000 चौथी जनरेशन का लड़ाकू विमान है। इस विमान में सिंगल इंजन लगा हुआ है।

भारतीय सेना ने 1980 के दशक में लड़ाकू विमान मिराज-2000 को फ्रांस से खरीदा था। मिराज को अपग्रेड कर ज्यादा शक्तिशाली बनाने का जिम्मा एविएशन कंपनी डासौल्ट को दिया गया था। अनुंबध के आधार फ्रांसीसी कंपनी डासौल्ट ने मिराज-2000 नामक कुछ लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया। इसके बाद शेष विमानों के अपग्रेडेशन का काम हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में चल रहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि लड़ाकू विमान मिराज-2000 भारतीय वायु सेना के साथ फ्रांसिसी एयरफोर्स, चीनी रिपब्लिक वायुसेना तथा युनाइटेड अरब अमिरात एयरफोर्स के बेड़े में शामिल है।

अपग्रेडे मिराज-2000 लेजर गाइडेड बम के अलावा हवा से सतह पर मारने करने वाली मिसाइले दागने में सक्षम है। 1999 के कारगिल युद्ध में मिराज-2000 ने पाकिस्तानी दुश्मनों के तमाम बंकरों को ध्वस्त कर दिया था। लेजर गाइडेड बमों से निशाना साधने में सक्षम मिराज-2000 ने कारगिल युद्ध जीतने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।

आपातकालीन परिस्थितयों में नेशनल हाईवेज को रनवे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए मिराज-2000 को साल 2015 में दिल्ली के यमुना एक्सप्रेस वे पर लैंड कराया गया था। युद्ध के समय चूंकि दुश्मन के निशाने पर एयरबेस ही होते हैं, ऐसे समय में लड़ाकू विमानों के रनवे के लिए नेशनल हाईवे का इस्तेमाल मील का पत्थर साबित होगा।

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