अगर हम लोकसभा चुनाव 2014 को याद करें, तो सचमुच यह कई मायनों में आश्चर्यजनक परिणाम देने वाला साबित हुआ था। साल 2014 में सबसे बुरा हाल बसपा का हुआ था, ठोस दलित मतों की आधार वाली बहुजन समाज पार्टी और मायावती की सियासी ताकत क्षीण होती दिखी थी। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा का खाता तक नहीं खुला था। दरअसल दलित वोट जीत में तभी तब्दील होते हैं, जब वे अन्य सामाजिक समूहों के मतों से जुड़ते हैं, लेकिन संयोग से बसपा के साथ ऐसा नहीं हो सका था।

देखा जाए तो मायावती ने लोकसभा चुनाव 2014 से सबक नहीं लिया और ना ही वे कोई बड़ा दलित आंदोलन चलाने में कामयाब रहीं, इसलिए यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भी बसपा का बहुत बुरा हाल हुआ। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बसपा 403 में से केवल 17 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी।

इसके बाद मायावती को इस बात का अहसास हुआ कि उनका दलित आधार मत उनसे दूर हो रहा है, इसलिए उन्होंने दलित हितों के लिए खुद को साबित करने हेतु राज्यसभा से इस्तीफा तक दे दिया। इतना ही नहीं भाजपा को हराने के​ लिए उन्होंने धुर विरोधी पार्टी सपा से यूपी विधानसभा के उप चुनावों में बिना शर्त गठबंधन भी कर लिया। इस लिटमस टेस्ट में बसपा और सपा दोनों ही पास होती नजर आईं।

लिहाजा अब बसपा ने सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि अब दलित मत उनकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं, तो उन्होंने देश के पांच राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया, सिवाय छत्तीसगढ़ के।

बता दें कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने राजस्थान में दमदार प्रदर्शन किया है। पार्टी ने इन चुनावों में अकेले उतरते हुए 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। बसपा उम्मीदवार चौ. दीपचंद खैरिया ने किशनगढ़बास, संदीप यादव ने तीजारा, जोगेंद्र अवाना ने नदबई, राजेंद्र गुढ़ा ने उदयपुरवाटी, वाजिद अली ने नगर सीट और लाखन सिंह मीणा ने किरौली विधानसभा सीट पर जीत का परचम लहराया है।

छत्तीसगढ़ में मायावती की बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन किया था। इस चुनाव में अजीत जोगी किंग मेकर भले न बन पाए हों, लेकिन बसपा के साथ किए गए उनके गठबंधन ने 7 सीटें दिला दीं।

जहां तक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 की बात है, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 2 सीटों पथरिया और भिंड में जीत हासिल की। लिहाजा मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में बसपा ने बिना शर्त कांग्रेस को समर्थन दिया।

गौरतलब है कि साल 2017 के बाद बहुजन समाज पार्टी ने निश्चित रूप से अपनी सियासी ताकत फिर से हासिल कर ली है। बसपा को इसका सीधा फायदा लोकसभा चुनाव 2019 में मिलने वाला है। विशेषकर यूपी में सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के मुश्किल साबित होने वाला है।

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