नौसैना की असली ताकत पनडुब्बी मानी जाती है। युद्ध के वक्त बिना किसी भनक के दुश्मन की सीमा में घुसकर उसे तबाह करना और फिर सकुशल अपनी सीमा में वापस आ जाना, ऐसा खतरनाक ऑपरेशन केवल पनडुब्बी से ही संभव है।

यह बात आपके भी मन में जरूर चलती होगी कि पनडुब्बी के अंदर नौसैनिकों की जिंदगी कैसी होती होगी। वह किन मुश्किल परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी करते होंगे।

इस स्टोरी में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि ​कितनी नाजुक परिस्थितियों में नौसैनिक पनडुब्बी के अंदर अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने मिशन को पूरा करते हैं। इसे आप तस्वीरों के माध्यम से भी बखूबी समझ सकते हैं।

- किसी मिशन के लिए पनडुब्बी के समुद्र के आग में समाते ही नौसैनिकों का संपर्क पूरी दुनिया से खत्म हो जाता है।

- यहां तक कि परिवार की खबर भी उन्हें नहीं मिल पाती है, और ना ही परिजनों को उनकी।

- मिशन खत्म होने से पहले वह कई दिनों तक स्नान भी नहीं कर पाते हैं।

- मिशन खत्म होने के बाद बिना स्नान किए ही नौसैनिक पनडुब्बी से बाहर निकलते हैं।

- पनडुब्बी के अंदर रहने ​के लिए नौसैनिकों को डिस्पोजल कपड़े दिए जाते हैं, जिन्हें दो से तीन दिन पहनने के बाद डिस्पोज कर दिया जाता है। इन कपड़ों में एक विशेष प्रकार का केमिकल लगा होता है, जो नौसैनिकों को बिना स्नान किए ही उन्हें कीटाणुओं से मुक्त रखता है।

- पनडुब्बी में अफसर और सैनिक की कोई ड्रेसकोड नहीं होती है। क्योंकि पनडुब्बी के अन्दर टीम के सदस्य एक परिवार की तरह रहते हैं।

- पनडुब्बी के अंदर एक चिंगारी भी मौत की वजह बन सकती है। बता दें कि पनडुब्बी के अन्दर बैटरी रूम में 100 से भी ज्यादा बैटरी मौजूद होती हैं।

- पनडुब्बी के अन्दर नौसैनिकों को मात्र 12 मिनट में भोजन करना होता है और तंग से बिस्तर पर महज 4 से 5 घंटे की नींद ही मिल पाती है।

- पनडुब्बी के अंदर एक छोटे से केबिन में 6 और कभी उससे भी जादा नौसैनिक सोते हैं।

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