दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष शीला दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया। उन्हें तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी है और इस बार भी उन्हें दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदारों के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन तबियत खराब होने की वजह से उन्हें आखिरी साँसे लेनी पड़ी।

आज हम शीला दीक्षित के पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने जा रहे हैं। पिछले साल फरवरी 2018 में शीला दीक्षित ने अपनी जिंदगी के अंतरंग लम्हों को अपनी किताब में शब्दों के जरिए बयां किया था। “सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ” नाम की किताब में उन्होंने अपनी लव स्टोरी के बारे में बताया था।

उन्होंने अपनी लव स्टोरी का जिक्र करते हुए बताया था कि इतिहास का अध्ययन करने के दौरान ही उनकी विनोद से मुलाकात हुई। वे उनकी क्लास के 20 लड़कों में सबसे अलग थे। शीला ने लिखा है कि ऐसा नहीं है कि पहली नजर में ही प्यार हो गया था। वलेकिन उनकी पर्सनेलिटी उन्हें काफी आकर्षक लगी थी। साढ़े ग्यारह इंच लंबे विनोद सुंदर, सुडौल साथियों के बीच बेहद लोकप्रिय और अच्छे क्रिकेटर थे। इसके बाद धीरे धीरे ये दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और एक दूसरे के करीब आ गए।

शीला ने बताया था कि वे काफी इंट्रोवर्ड थी और कई बार चाह कर भी अपनी बातें विनोद से नहीं कह पाती थी। जबकि विनोद खुले विचार वाले, हंसमुख और एक्स्ट्रोवर्ट। अपनी बातें बताने के लिए उन्होंने 1 घंटे तक डीटीसी बस की सवारी की थी, फिर फिरोजशाह रोड स्थित अपनी आंटी के घर पर विनोद के साथ लंबा वक्त गुजारा था। शीला ने उन्हें ये बात भी बस में बताई थी कि वे उनसे शादी करना चाहती हैं। इसके बाद विनोद ने 10 नंबर की बस में चांदनी चौक के पास विनोद ने शीला को बताया था कि वो अपनी मां को बताने जा रहे हैं कि उन्होंने लड़की चुन ली है, जिससे वो शादी करेंगे।

शीला ने भी अपने माता पिता को विनोद के बारे में सब बताया था और ये भी बताया कि वे उस से शादी करना चाहती हैं। लेकिन उनके परिवार वाले इसे मनुर नहीं कर रहे थे क्योकिं वे सोचते थे कि विनोद अभी भी स्टूडेन्ट हैं तो इनकी गृहस्थी कैसे चलेगी। फिर शीला ने मोतीबाग में एक दोस्त की मां के नर्सरी स्कूल में 100 रुपये की सैलरी पर नौकरी कर ली और विनोद आईएएस एग्जाम की तैयारी में लग गए। लेकिन इस बीच भी वे दोनों मिलते रहे। साल 1959 में विनोद का सेलेक्शन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए हो गया। उन्होंने यूपी कैडर चुना था।

जब विनोद ने जब जनपथ के एक होटल में मुलाकात कराई थी तब वो काफी नर्वस थीं। शीला ने अपनी किताब में बताया था कि दो हफ्ते, दो महीने या दो साल तक इंतजार करना पड़ सकता है क्यों कि विनोद की मां को अंतर जातीय विवाह के लिए मनाना था। और इस बीच दो साल बीत गए। आखिरकार 11 जुलाई, 1962 को दोनों की शादी हुई।

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