दोस्तों, बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसके लिए वह कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी साल 2019 में सरकार बना पाएंगे।

दोस्तों, हम बात करते हैं लोकसभा चुनाव 2014 की जब पूरे देश में मोदी लहर थी, बावजूद इसके भाजपा ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, जयललिता को हराने में नाकाम रही। मतलब साफ है जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस पार्टी मजबूत थी, सिर्फ उन्हीं राज्यों में भाजपा का जादू चल पाया था। ठीक वही राजनीतिक स्थिति आज भी मौजूद है। इस बार भाजपा को लोकसभा चुनाव 2014 के मुकाबले कम सीटें मिलेंगी, इसमें कोई दो राय नहीं है।

देखा जाए तो यह सियासी सच्चाई है कि पीएम मोदी की तुलना में विपक्ष के पास कोई पॉपुलर नेता नहीं है। बावजूद इसके राज्य स्तर पर क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन से पीएम मोदी हार सकते हैं। हर किसी के मन सवाल यह उठता है कि एक-दूसरे की धुर विरोधी रह चुकी बसपा आखिर यूपी में सपा से गठबंधन क्यों करने जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2019 में सत्ता का लालच सपा-बसपा को एकत्र करेगा। चूंकि मायावती पिछले 15 साल से सत्ता से बाहर हैं, तो वह भी सत्ता में आना चाहती हैं। जहां मायावती राजनीतिक रूप से लालची हैं, वहीं 46 वर्षीय अखिलेश यादव को लगता है कि उनकी कुर्बानी से राजनीति में उनकी साख बढ़ेगी। इसलिए अखिलेश ने यह तय कर लिया है कि यदि मायावती 40 सीट मांगेंगी तो भी गठबंधन होगा। संभव है क्षेत्रीय पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं भी हो तो भी भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव 2014 का प्रदर्शन दोहरा पाना संभव नहीं होगा।

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