महाभारत की कथा में लोग कुंती को दोष देते है और कर्ण को नायक मानते है जबकि असलियत कुछ और ही थी, कुंती हुई थी साजिश की शिकार, चलो आज जानते है आखिर ऐसा क्या हुआ था, एक दिन दुर्वासा ऋषि घर आये तो बाल पन से ही सद्गुणी कुंती ने पिता की आज्ञा से उनकी खूब सेवा की, जाते समय दुर्वासा ने कुछ मांगने बोला पर कुंती ने कुछ भी मांगने से मना कर दिया था। तब दुर्वासा ने जबरदस्ती उसे वशीकरण मन्त्र दिया था जिसके उच्चारण से देवता तक वश में हो जाते थे।

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एक दिन अकेले अपने शयन कक्ष में बैठी कुंती उस वरदान के बारे में सोच रही थी और तभी उनकी नजर सूर्य भगवान् पर पड़ी, कौतुहल में कुंती ने सूर्य को देखते हुए उस मन्त्र का उच्चारण कर दिया और सूर्य देवता तुरंत ही प्रकट हो गए।

कुंती ने उनका आह्वाहन बस सूर्य को देखते हुए अनजाने में बोल गई थी वशीकरण मन्त्र का परिणाम ये हुआ कि 8 साल की उम्र में कुंती नाजायज बच्चे की माँ
बन गई। कुंती ने जिस बच्चे को जन्म दिया था उसका नाम कर्ण था।

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