कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया के किसी भी देश को दवा बनाने में सफलता नहीं है। इस बीच मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन एक बार फिर से चर्चा में है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन पर निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया तो जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस दवा में ऐसा क्या है कि अमेरिका के राष्ट्रपति इस दवा के लिए इतनी बड़ी बात कह दी।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ल्यूपस सेंटर के अनुसार, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, त्वचा पर चकत्ते, दिल की सूजन और फेफड़ों की लाइनिंग, थकान और बुखार जैसे लक्षणों को ठीक करने में किया जाता है। इस दवा के कोरोना पर असर को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है। जो हेल्थ वर्कर कोविड-19 मरीजों के बीच काम कर रहे हैं उन्हें ही यह दवा दी जा रही है।

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे हेल्थ वर्कर्स के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की सिफारिश की है। भारत में इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ उनके लिए किया जा रहा है, जो लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं या फिर उन मरीजों के संपर्क में हैं।

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