इन खुफिया एजेंसियों के बिना अधूरी है भारत की सुरक्षा, अंडरग्राउंड रह कर रखती है दुश्मन पर नजर
दुनियाभर के देशों की सुरक्षा में वहां की खुफिया एजेंसियां अहम भूमिका निभाती हैं। भारत में भी कई ऐसी ख़ुफ़िया एजेंसीज है जो देश को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है। आज हम आपको ऐसी ही खुफिया एजेंसीज के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी गिनती भारत की टॉप सीक्रेट एजेंसीज में होती है।
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग
1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध और 1965 में भारत-पाक के युद्ध के दौरान भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो सही तरह से काम नहीं कर पा रहा था तब देश को एक सीक्रेट एजेंसी की जरूरत थी जो इनफार्मेशन कलेक्ट कर सके और साथ ही दुश्मनों की गतिविधियों पर नज़र रखने में सक्षम हो।तब 1968 में रॉ का गठन हुआ। रॉ को दुनिया की सबसे बेस्ट सीक्रेट एजेंसीज में से एक माना जाता है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो
इंटेलिजेंस ब्यूरो का गठन साल 1887 में हुआ है। सरकार के एग्जक्यूटिव के ऑर्डर के आधार पर इसकी स्थापना हुई थी। 1947 में इसका पुनर्गठन हुआ। यह सबसे पुरानी एजेंसीज में से एक है और इसकी गिनती भी बेस्ट ख़ुफ़िया एजेंसीज में होती है। सरकार को विदेश नीति बनाने में भी मदद करती है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के कैंडिडेट्स क रूस की केजीबी ट्रेनिंग दी जाती है।
नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी
नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी का गठन साल 2008 में हुआ था जान मुंबई में हमले हुए थे। आतंकवाद से जुड़े सारे मामले ये एजेंसी देखती है। आतंकी हमलों, आतंवादियों को धन मुहैया करवाना आदि मामलों से निपटने के लिए इसका गठन हुआ था।
नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन
टेक्निकल खुफिया एजेंसी का गठन साल 2004 में हुआ था। इसका काम भी देश को खुफिया जानकारी उपलब्ध करवाना है और ये भी देश के हित के लिए काम करती है। साल 2014 में इस एजेंसी ने आईजी को एक ऐसी खुफिया जानकारी दी थी जिस से नए साल से एक दिन पहले पाकिस्तानी जहाज को उड़ाने में उन्हें सफलता मिली थी।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एनसीबी भी कहा जाता है और इसका गठन 1986 में हुआ था। भारत में मादक पदार्थों की तस्करी और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए काम करती है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ऑप्रेशनों में बीएसएफ पंजाब बॉर्डर के साथ समन्वय, बीएसएफ/ आर्मी भारत-म्यांमार सीमा पर कई ऑपरेशंस में अपनी अहम भूमिका निभाई है।