इंटरनेट डेस्क। उन दिनों दलित एक नारा लगाते थे-बाबा तेरा मिशन अधूरा, कांशीराम करेगा पूरा। कांशीराम को भी यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि उनके दलित मिशन में केवल सवर्ण नहीं बल्कि वे दलित राजनेता भी शामिल हैं जो सरकारी दलाल बनकर मलाई खाते रहे हैं। इसलिए उन्होंने साल 1982 में द चमचा एज. एन इरा ऑफ द स्टूजेस नामक एक किताब लिखी। इस किताब में कांशीराम ने कांग्रेस सरकार में शामिल रहे दलित राजनेताओं की जमकर आलोचना की। साल 2006 में कांशीराम का निधन हो गया, लेकिन इससे पहले वह शुगर, ब्लड प्रेशर और ब्रेन स्ट्रोक के शिकार बने।

उनकी मौत से पहले एक विवाद उठा और यह मामला कोर्ट तक जा पहुंचा कि मायावती ने कांशीराम को कैद रखा है। इसलिए उनके परिवार को कांशीराम के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत मिल गई। लेकिन मायावती यह पहले ही साबित कर चुकी थीं कि वहीं कांशीराम की असली राजनीतिक वारिस हैं।

लिहाजा कांशीराम ने अपने वसीयतनामें तीन महत्वपूर्ण बातें लिखी थी, जो इस प्रकार है।

- मेरी यही आखिरी इच्छा है कि कुमारी मायावती दीर्घायु होकर बीएसपी के लिए काम करते हैं।

- मेरी अस्थियों को नदी में नहीं बहाया जाए। उन्हें बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में ही रखा जाए।

- मायावती की अस्थियां भी मेरे ही बगल में बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में रखी जाएं।

फिलहाल सुश्री मायावती अभी स्वस्थ और दीर्घायु हैं। इतना ही नहीं उन्होंने साल 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को धूल चटाने के लिए एक बार फिर से अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा से गठबंधन करने का निर्णय लिया है।

Related News