जलियांवाला बाग हत्याकांड: त्रासदी के 103 साल जाने इसके कारण और उसके प्रभाव
जलियांवाला बाग हत्याकांड: 13 अप्रैल को हम अमृतसर के जलियांवाला बाग में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी वीरता आने वाले वर्षों के लिए भारतीयों को प्रेरित करेगी। आज भारत उस घटना के 103 साल पूरे कर रहा है जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड, इसके कारण और इसके प्रभाव पर एक नज़र डालें।जलियांवाला बाग हत्याकांड, जिसे अमृतसर के नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, एक घटना थी जो 13 अप्रैल, 1919 को हुई थी। उस दिन, ब्रिटिश सैनिकों ने अमृतसर में जलियांवाला बाग नामक एक खुली जगह में निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी भीड़ पर गोलीबारी की थी। भारत का पंजाब क्षेत्र (अब पंजाब राज्य में)। बच्चों सहित कई सौ लोग मारे गए, और सैकड़ों अन्य घायल हो गए। यह घटना भारत के आधुनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जिसके कारण गांधी की भारतीय राष्ट्रवाद और ब्रिटेन से स्वतंत्रता के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता हुई। निःसंदेह, इस घटना ने भारत-ब्रिटिश संबंधों पर एक स्थायी छाप छोड़ी। इस नरसंहार ने अंग्रेजों के अमानवीय दृष्टिकोण को उजागर कर दिया जब ब्रिटिश सेना ने जनरल डायर द्वारा बिना किसी चेतावनी के एक निहत्थे भीड़ पर ठंडे खून से गोलियां चला दीं, जो सार्वजनिक सभा के लिए संलग्न पार्क में इकट्ठा हुए थे, जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया था।