''देर आए, दुरुस्त आए… '' अमित शाह के किस बयान से खुश हो कर महबूबा मुफ्ती ने कही ये बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ये बयान दिया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (एएफएसपीए) को हटाने पर विचार कर रही है। उन्होंने इस बारे में कहा था कि हमारी योजना जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून प्रवर्तन कर्तव्यों को पूरी तरह से पुलिस को सौंपने की है। केंद्रीय मंत्री के बयान के जवाब में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने टिप्पणी की है.
पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस तरफ कदम आगे बढ़ा रही है मैं कहना चाहूंगी देर आए , दुरस्त आए. अगर इस पर बीजेपी काम करती है तो हम इसका स्वागत करते है. साथ ही उन्होनें कहा कि बस ये जुमलेबाजी न हो।"
देर आए दुरुस्त आए
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की ओर से काफी समय से AFSPA हटाने की मांग की जा रही है. मुफ्ती ने कहा कि पीडीपी काफी समय से शहर से सुरक्षा बलों को हटाने की वकालत कर रही है. 2014 में पीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन था. उन्होंने याद करते हुए कहा कि जैसे ही जम्मू-कश्मीर से सुरक्षा बल और AFSPA हट जाए, इसलिए हमने बीजेपी के साथ गठबंधन किया। मुफ्ती ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात सुधरते ही AFSPA को भी खत्म कर देना चाहिए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज जब गृह मंत्री अमित शाह इस पर बात करेंगे तो हम यही कहेंगे कि देर आए दुरुस्त आए।
सिर्फ बयानबाजी नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बीजेपी इस कदम पर काम करती है तो हम इसका स्वागत करते हैं. लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि यह बीजेपी की बयानबाजी हो सकती है. मुफ्ती ने कहा, ''आपको याद होगा कि जब उन्होंने कहा था कि हम देश में 200 करोड़ नौकरियां देंगे, कांग्रेस के समय सिलेंडर की कीमत 450 थी, हम 400 में सिलेंडर देंगे. कहा गया था कि हम हर गरीब के खाते में 15 लाख रुपए जमा करेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.'' महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमने पहले भी जम्मू-कश्मीर से सुरक्षा बलों को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन जब हमने इस बारे में बात की तो हमें गद्दार कहा गया, गद्दार कहा गया. उन्होंने कहा कि अब हम सोच रहे हैं कि जब उन्होंने चुनाव के दौरान इस बारे में बात की तो यह महज बयानबाजी न रह जाए.