दोस्तों, आपको बता दें कि इसरो ने श्रीहरिकोटा से गुरुवार को भारतीय हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट के अलावा 8 देशों के 30 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित कर एक नया इतिहास रच दिया। बता दें कि इसरो की ओर से प्रक्षेपित किए गए पीएसएलवी-सी43 के अतिरिक्त 30 विदेशी उपग्रह 504 किमी की कक्षा में स्थापित किए जाएंगे। इन 30 उपग्रहों में से 23 सेटेलाइट अमेरिका के हैं, जबकि शेष कनाडा, आस्ट्रेलिया, फिनलैंड, कोलंबिया, नीदरलैंड, मलेशिया और स्पेन के हैं।

इसरो पहले भी बना चुका है इतिहास, यह हैं उपलब्धियां

- इसरो ने 19 अप्रैल 1975 को देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया था। इसका वजन 360 किलोग्राम था।

- इसरो ने साल 1983 में ब्रॉडकास्ट और कम्युनिकेशन के उद्देश्य से 9 सैटेलाइट लॉन्च किए। इन्हें इनसेट के रूप में जाना जाता है।

- पीएसएलवी ने साल 1993 में 40 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किए थे।

- इसरो ने साल 2008 में चांद पर चंद्रयान भेजकर इतिहास रच दिया था। ऐसा सिर्फ 6 देश ही कर पाए थे।

- इसरो ने साल 2014 में मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजा और पहली बार में ही सीधे मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच दिया। इस अभियान में कुल 450 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। इसी वर्ष इसरो ने सबसे अधिक एक साथ 37 सैटेलाइट लॉन्च किए थे।

- इसरो ने वर्ष 2016 में स्वेदशी स्पेस शटल आरएलवी-टीडी लॉन्च किया। इसमें करीब 95 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसी साल इसरो ने रिकॉर्ड 20 सैटेलाइट प्रक्षेपित किए थे।

- साल 2016 में ही इसरो ने नेविगेशन सिस्टम आईआरएनएसएस लॉन्च किया था। भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम जैसा अपना नेविगेशन सिस्टम मिल भी गया।

- साल 2017 में इसरो ने करीब 3,136 किलो वजन का कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीएसएलवी एमके3 लॉन्च किया। इससे पहले ज्यादा वजन वाले उपग्रहों के ​प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था।

- वर्ष 2017 में इसरो ने पीएसएलवी के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

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